- कांदिवली मोक्ष की पहली सीढ़ी है- सम्यक्तव
मुम्बई। पर्यूषण महापर्व की प्रवचन माला के अंतर्गत आज वाणी संयम दिवस मनाया गया।उपस्थित विशाल श्रद्धालुओं के समूह को संबोधित करते हुए आचार्य महाश्रमण की विदुषी शिष्या साध्वी श्री निर्वाणश्री जी ने कहा- भगवान महावीर का जीव भवांतर यात्रा के अंतर्गत नंदन मुनि के भव में विशेष तपस्या व साधना करते हुए तीर्थंकर नाम गोत्र का बंध करता है। 26 वें भव में दसम प्राणत देवलोक में देव बनते हैं। वहां से देवानंदा की कुक्षी में 14 महा स्वप्नों के साथ नंदन मुनि का आगमन होता है।उन्होंने वाणी संयम की अपेक्षा पर प्रकाश डाला।
प्रबुद्ध साध्वी श्री डॉ योगक्षेम प्रभा जी ने वाणी संयम के संदर्भ में संक्षिप्त प्रस्तुति करते हुए भगवान अरिष्ठनेमी के उर्ध्वारोहण की यात्रा बड़ी ही रोचकता से प्रस्तुत की। साध्वी श्री ने शंख राजा के पात्र दान की घटना भी अभिव्यक्त की।
साध्वी मुदित प्रभा जी ने “मीठी बोली हीरा तोली” गीत की मधुर स्वर लहरी सुनाई।साध्वी मधुर प्रभा जी ने वाणी संयम तथा उनकी उपादेयता प्रकट करते हुए आगमों का संदेश सुनाया। मंच संचालन साध्वी लावण्य प्रभा जी ने किया। मंगलाचरण व गीत गोरेगांव महिला मंडल व तेयुप ने प्रस्तुत किये।
शुक्रवार रात्रि का कार्यक्रम भी अत्यंत प्रेरणादाई रहा प्रतिक्रमण के पश्चात तीर्थंकर (पर्युषण ) प्रश्नावली का क्रम रहा जिसमें करीब 200 भाई बहनों ने भाग लिया। इसमें सौरभ दूधेडिया व अलका पटावरी ने सक्रियता दिखाई। साध्वी मधुर प्रभा जी ने “शासन यह भिक्षु का” गीत प्रस्तुत किया। साध्वी डॉ योग क्षेम प्रभा जी ने सम्यक्तव के अनेक अनछुए पहलुओं की सटीक अवगति दी।
विदुषी साध्वी श्री निर्वाणश्री जी ने सम्यक्तव की प्राप्ति,उसके प्रकार व लक्षणों की रोचक प्रस्तुति दी। कांदिवली तेरापंथ भवन में प्रातः 5:00 से रात्रि 9:40 बजे तक निरंतर धर्म आराधना का क्रम सुचारू रूप से गतिमान है। फाउंडेशन परिवार,स्थानीय तेयुप,सभा व विभिन्न संस्थाएं जागरूकता पूर्वक कार्यरत हैं।