मुम्बई। स्वाध्याय रसिक संत शिरोमणि आचार्य श्री महाश्रमण जी की विदुषी शिष्या शासन श्री साध्वी श्री सोमलता जी के सान्निध्य में पर्युषण पर्व के स्वाध्याय दिवस की शुरुआत आदिनाथ स्तुति से हुई शासन श्री साध्वी श्री सोमलता जी ने ओजस्वी वाणी में कहा – स्वाध्याय अज्ञान रूपी तिमिर को दूर करने के लिए दीप के समान है। विचार मंचन के लिए सीप है। स्वाध्याय से मनुष्य के ह्रदय में प्रेम का, आनन्द का स्रोत बहता है। निरंतर स्वाध्याय करने से दिव्य लब्धियां प्राप्त हो सकती है।
साध्वी श्री सोमलता जी ने श्रमण भगवान महावीर के पूर्व भवों का सजीव चित्रण प्रस्तुत करते हुए कहा – भगवान महावीर ने नयसार के भव में शुभ भावों के साथ संयमी आत्माओं को शुद्ध दान देकर सम्यक्त्व को प्राप्त कर के संसार को सीमित किया। आपने प्रसंग वंश सुखद जीवन के रहस्यात्मक सूत्रों को बताते हुए कहा- दिमाग को गरम मत रखो, आँखें लाल मत करो, जीभ को खारी मत बनाओ फिर देखो जीवन में कितना आनन्द आता है। आपने स्वाध्याय की प्रेरणा देते हुए कहा प्रतिदिन प्रत्येक व्यक्ति को २० बीस मिनट के लिए सद्ग्रंथों का अध्ययन करना चाहिए “सास ग्रुप’ ने महावीर स्तवना की। नवयुवती व कन्या मंडल ने पर्युषण सेल की प्रस्तुति दी। साध्वी श्री जागृतप्रभाजी ने स्वाध्याय कब, कैसे करना चाहिए इसके बारे में बताया व साध्वी शकुन्तलाकुमारीजी व संचितयशा जी ने “स्वाध्याय करो स्वाध्याय करो” गीत का संगान व साध्वी रक्षित यशा जी ने कार्यक्रम का संचालन कुशलता पूर्वक किया यह जानकारी तेयुप अध्यक्ष नितेश धाकड़ ने दी
समाचार प्रदाता:नितेश धाकड़
स्वाध्याय दीप है- शासन श्री साध्वी श्री सोमलताजी
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