मुंबई। के.सी. कॉलेज हिन्दी-विभाग के तत्वावधान में ‘साहित्य-गंगा: साहित्यिक-सांस्कृतिक यात्रा’ समारोह के ‘प्रथम सोपान’ का आयोजन शनिवार, 20 अगस्त को किया गया। कार्यकम के प्रेरणास्रोत डॉ. शीतला प्रसाद दुबे ने अपने उद्बोधन में कहा कि विद्यार्थियों द्वारा शुरू किया गया यह कार्यक्रम एक बहुत ही अच्छा प्रयोग है। अच्छी बात यह है कि इसमें जूनियर कॉलेज से लेकर पी-एचडी तक के एवं पूर्व विद्यार्थियों को भी जोड़ने का प्रयास किया गया है। साथ ही हिन्दी के विविध रूपों, उसकी बोलियों तथा पारंपरिक एवं लोकगीतों की विद्यार्थियों द्वारा शानदार प्रस्तुति बहुत ही प्रशंसनीय है। मैं उम्मीद करता हूं कि आज शुरू हुई यात्रा नित नवीन मंजिलों को तय करते हुए, एक कीर्तिमान स्थापित करें। साथ ही आप लोग कोशिश करें कि हिंदी से जुड़ें सभी क्षेत्रों के पारंपरिक एवं लोकगीतों को यहां प्रस्तुत किया जाये। इसी क्रम में कॉलेज के उप प्राचार्य स्मरजीत पाधी ने कहा कि आज मोबाइल के जमाने में कहीं न कहीं हम एक दूसरे से दूर हो गए हैं। ऐसे में इस प्रकार के कार्यक्रमों की बहुत जरूरत है, जहां हम एक दूसरे से मिल सके, अपनी बात रख सकें एवं दूसरों के विचारों को सुन सकें। इस अवसर प्राध्यापक द्वय शशिकला मौर्या एवं दिव्या नचलानी ने भी अपनी शुभकामनाएं दीं। इससे पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत मीरा राजभर द्वारा भोजपुरी में प्रस्तुत सरस्वती वंदना से हुई। कार्यक्रम की प्रस्ताविकी भाग्यश्री कच्छारा ने तथा अभिमत डॉ. अजीत कुमार राय ने प्रस्तुत किया. वहीं संचालन पल्लवी जायसवाल व मेहुल वाघेला ने तथा आभार ज्ञापन प्रीति चौरसिया एवं रूबी सिंह ने किया।
लोकगीतों ने मन मोहा
कार्यक्रम के दौरान विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत लोकगीत आकर्षण के विशेष केंद्र रहें। वंदना मिश्रा ने ‘आज मिथिला नगरिया निहाल सखियां’ तो श्वेता मिश्रा ने ‘ए पहुना यही मिथिले में रहूं-ना’ गीत की प्रस्तुति दी तथा याशिका बिष्ट, तुलसी सिंह एवं सृष्टि भाटिया द्वारा प्रस्तुत नृत्य ने सबका मन मोह लिया। वहीं किरण जायसवार द्वारा प्रस्तुत ‘रानी लक्ष्मीबाई’ कविता को सभी ने सराहा।
इन्होंने दी प्रस्तुति
कार्यक्रम के दौरान सुभोजित ने कहानी पाठ तथा गोरल पटेल, वंशिका जैन, पूजा, आशा गुप्ता, अक्षता सालियान, मीनाक्षी नाईक, व्योमिता व्यास, दृष्टि सिंह, संस्कृति सिंह, नमिता कुमारी, हेतवी गाला, सेजल पॉल एवं श्रेया वडे ने कविता पाठ किया।