भायंदर। युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी की विदुषी शिष्या शासनश्री साध्वी श्री विद्यावतीजी ‘द्वितीय’ के सान्निध्य में अमृत कलश प्रतियोगिता आयोजित की गई। इस प्रतियोगिता में 27 प्रतिभागियों ने सोत्साह भाग लिया। इस अवसर पर साध्वी प्रियंवदाजी ने कहा-ज्ञान प्राप्ती का एक माध्यम है प्रतियोगिता। जैन धर्म, तेरापंथ एवं तत्वज्ञान की जानकारी रखना अत्यंत आवश्यक है। सम्यक् ज्ञान भी सम्यक् दर्शन को पुष्ट बनाता है। संभागियों ने खूब श्रम करके प्रारंभिक धार्मिक ज्ञान अर्जित किया है। पारसमलजी कच्छारा ने जैन विद्या परीक्षा में संभागी बनने का आह्वान किया।
प्रश्न पूछने में साध्वी प्रेरणाश्रीजी ने समय नियोजित किया एवं आकर्षक लहजे में प्रश्नों का दौर चलाया। साध्वी मृदुयशाजी, तेरापंथी सभा के अध्यक्ष भगवतीलालजी भंडारी, परेशजी भंडारी, मनोज नाहर तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष राकेशजी बागरेचा किशोर मंडल से हर्षल डांगी का पूर्ण सहयोग एवं श्रम रहा। इस प्रतियोगिता में ममता डांगी, प्रेमलता बांठिया, समता दुगड़ एवं दीपा डांगी ने प्रथम स्थान प्राप्त किया।
स्नेहा जैन, पुष्पा सांखला, चंदा कोठारी एवं ललिता मेहता ने द्वितीय तथा भावना वागरेचा, शुचिता वागरेचा, चंद्रा सेमलानी , और निधि सांखला ने तृतीय स्थान प्राप्त किया । तेरापंथ सभा के अध्यक्ष भगवतीलालजी भंडारी ने इस प्रतियोगिता में शामिल मीरां भायंदर के संभागियों को साधुवाद दिया।
सभा द्वारा समस्त प्रतियोगियों को पुरस्कृत करने की घोषणा की गई। श्रोताओं ने भी इस नवीन आकर्षक ज्ञानवर्धक प्रतियोगिता की मुक्त कंठ से सराहना की एवं साध्वी वृंद के प्रति हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित की।
– समाचारः पारस कच्छारा भायंदर