- जप और तप के साथ मनाया गया निर्माण कल्याणक महोत्सव
माधावरम्। भगवान पार्श्वनाथ निर्माण कल्याणक महोत्सव, आचार्य श्री महाश्रमणजी के शिष्य मुनि श्री सुधाकरजी के पावन सान्निध्य में जय समवसरण, जैन तेरापंथ नगर, माधावरम्, चेन्नई में जप-तप अनुष्ठान के साथ मनाया गया।
जप अनुष्ठान में समुपस्थित विशाल जनसैलाब को संबोधित करते हुए मुनि सुधाकरजी ने कहा भगवान पार्श्वनाथ जैन धर्म के तेईसवें तीर्थंकर हुए हैं, उनके लिए पुरूषादानिय विशेषण प्रयुक्त हुआ है। मंत्र शास्त्र में पार्श्वनाथ प्रमुख रहे हैं। उनकी स्तुति में जितने स्तोत्र लिखे गए हैं, शायद अन्य तीर्थंकरों की स्तुति में नहीं लिखे गए। जैन परंपरा के अनुसार भारत में पार्श्वनाथ के जितने मंदिर है, उतने शायद अन्य तीर्थंकरों के नहीं है। विघ्न – निवारण के लिए भगवान पार्श्वनाथ के स्तोत्रो का स्वाध्याय किया जाता है। उनकी स्तुति बहुत कल्याणकारी है।
पार्श्वनाथ का नाम मंगलमय
मुनि सुधाकरजी ने आगे कहा भगवान पार्श्वनाथ का नाम कल्याणकारी है, मंगलकारी है, मनवांछित फल देने वाला है। पार्श्वनाथ के मंत्र आरोग्य प्राप्ति के लिए बहुत शक्तिशाली है। स्तुति व स्तोत्र के साथ-साथ प्रभु के प्रति भक्ति, विनम्रता और समर्पण की भावना मंत्र को और अधिक शक्तिशाली बना देता है। उनका अनुष्ठान विघ्न-बाधा निवारण, आधि-व्याधि-उपाधि से मुक्ति प्रदान कर सकता है, क्योंकि मंत्रोच्चारण से निकलने वाली तरंगें अनिष्ट का निवारण कर इष्ट की प्राप्ति कराता है। अमंगल का निवारण कर, मंगलमय वातावरण का सूजन करता है। क्योंकि पार्श्वनाथ भगवान का नाम मंगल है, कलयुग में उनका नाम कल्पवृक्ष के समान हैं।
मुनि नरेशकुमारजी ने ‘प्रभु पार्श्वनाथ चरणों में’ स्तवना का संगान किया। तपस्या के क्रम में जयेश कोठारी, सोनम कोठारी ने जोड़े सहित अठाई का प्रत्याख्यान किया। स्वागत स्वर जैन श्वेताम्बर तेरापंथ माधावरम् ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी घीसूलाल बोहरा ने किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन कविता मेड़तवाल ने एवं मंगलाचरण मन्नली एरिया की बहनों ने किया। समारोह के प्रायोजक अकलकंवर मानकचन्द रांका का सम्मान ट्रस्ट की ओर से किया गया। समारोह को सफल बनाने में जैन तेरापंथ नगर के कार्यकर्ताओं का विशेष सहयोग रहा। धन्यवाद ज्ञापन प्रवीण सुराणा ने दिया। अनेकों उपवास के साथ सामुहिक रुप से लगभग 150 व्यक्तियों ने एकासण और 60 साधकों ने आयम्बिल तप किया।