मुंबई। युग प्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी की विदुषी सुशिष्या साध्वीश्री निर्वाणश्री जी (ठाणा ६) के पावन सान्निध्य में आचार्य भिक्षु का २९७ वाँ जन्म दिवस, बोधि दिवस ,चातुर्मासिक चतुर्दशी का त्रिआयामी कार्यक्रम हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।
उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए साध्वीश्री निर्वाणश्री जी ने कहा – “त्याग का भारतीय संस्कृति में विशेष मूल्य है। छोटे-छोटे त्याग हर व्यक्ति कर सकता है। आषाढ़ी तेरस आचार्य श्री भिक्षु का जन्म दिवस है, आज ही के दिन राजनगर में बोधी का जागरण हुआ था,अतः है यह बोधि दिवस भी है।”
साध्वी डॉ योगक्षेम प्रभा जी ने अपने वक्तव्य में कहा – “चौमासी चौदस संकल्प का दिन है। आज से ही चातुर्मासिक आराधना का क्रम विशेष रूप से प्रारंभ हो जाता है। पावस काल के यह नियम अध्यात्म एवं स्वास्थ्य दोनों ही दृष्टि से बहुत उपयोगी हैं। ”
साध्वी श्री लावण्य प्रभा जी ने आचार्य भिक्षु के जीवन पर प्रकाश डाला। साध्वी वृंद ने समवेत स्वरों में “चौमासा आयो है..” गीत की मधुर स्वर लहरियों से सबका मन मोहा। अभिव्यक्ति के क्रम में तेरापंथी सभा कांदिवली के अध्यक्ष श्री पारसमल जी दुग्गड़, विमला जी दूगड़,निर्मला जी नौलखा, अलका जी पटावरी, यश सोनी आदि ने अपने भाव प्रकट किए। मंगलाचरण सुश्री पलक हिरण, मंच संचालन तेरापंथी सभा के मंत्री श्री अशोक जी हिरण एवं आभार ज्ञापन ते यु प के अध्यक्ष श्री नवनीत जी कच्छारा किया। भक्तामर स्तोत्र का संगान साध्वी मधुर प्रभा जी ने करवाया।
कांदिवली में त्रिआयामी कार्यक्रमों से चातुर्मास का शानदार आगाज़
Leave a comment
Leave a comment