जयपुर:ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री रमेश चंद मीणा ने कहा कि नागौर जिले में मनरेगा के तहत 80-100 करोड़ रुपये की हेराफेरी का अनुमान है। उन्होंने कहा कि बाड़मेर में लगभग 150-200 करोड़ रुपये की अनियमितताओं का अनुमान लगाया जा रहा है।
मीणा ने कहा कि जैसलमेर जिले में भी ऐसे मामलों की पहचान की गई है। नरेगा के काम में इन अनियमितताओं की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय जांच कमेटी का गठन किया जाएगा। माना जा रहा है कि जूनियर लेवल के अधिकारियों की मिलीभगत से वरिष्ठ अधिकारी और इंजीनियर इस तरह की अनियमितताओं में शामिल थे।
जांच में होंगे बड़े खुलासे
मीणा ने कहा, ‘नागौर जिले के अधिकारियों के अनुसार, लगभग 1,100 तालाब विकसित किए गए हैं। लेकिन, वे असली संख्या छिपा रहे हैं। यह घोटाला है। हम इसकी जांच उच्च स्तरीय जांच कमेटी से कराएंगे। वास्तविक आंकड़े जांच के बाद ही सामने आएंगे। उन्होंने कहा कि जिले में FTO (फंड ट्रांसफर ऑर्डर) 200 करोड़ रुपये से अधिक है। इसलिए अनुमान लगाया जा रहा है कि अनियमितता का पैमाना बहुत बड़ा होगा।
जमीन पर नहीं दिख रहा काम
एक अधिकारी ने बताया कि बाड़मेर जिले में पांच साल में 1.38 लाख तालाब बनाए गए हैं। इसके साथ ही अनुमान लगाया जा रहा है कि पांच साल में नागौर में करीब 50,000 से 55,000 तालाब बनाए गए हैं। मीणा ने कहा, ‘एक तो इन जिलों में नकली लेबर पेमेंट किए गए हैं। दूसरा जिस तरह से व्यक्तिगत श्रेणी के लिए 3.79 लाख रुपये का पेमेंट किया गया है, हालांकि काम जमीन पर नहीं दिखता है।’
सालों से चली आ रहीं अनियमितताएं: मंत्री
मंत्री ने कहा, ‘यहां तक कि जो मवेशी शेड, जो बनाए गए हैं, वे जानवरों को रखने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। उन्होंने इन्हें कमरों में बदल दिया है। इस तरह की अनियमितताएं सालों से चल रही हैं और कलेक्टरों और इंजीनियरों ने इन पर आंखें बंद कर रखी हैं। उन्होंने यह भी कहा कि तालाबों के निर्माण (व्यक्तिगत गतिविधियों के तहत) से अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग, गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) श्रेणी, दिव्यांग, एकल महिलाओं और गरीबों को लाभान्वित नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि तालाबों के निर्माण से केवल छोटे और सीमांत किसानों को लाभ हुआ है, लेकिन गरीबों की अनदेखी की गई है।