मुंबई। तेरापंथ भवन कांदिवली में आज युग प्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी की विदुषी शिष्या साध्वी श्री निर्वाण श्री जी एवं साध्वी वृंद के मंगल सान्निध्य में अ भा ते म मं के निर्देशानुसार श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथ महिला मंडल- मुंबई के तत्वावधान में क्षेत्र कांदिवली द्वारा नारी लोक में प्रेषित मासिक संगोष्ठी “रूपांतरण शिल्पशाला: संयम” का आयोजन किया गया।
साध्वी श्री जी ने नमस्कार महामंत्र के उच्चारण से कार्यक्रम का शुभारंभ किया, तत्पश्चात ” चईत्ता भारहमवासं…… ” का जाप करवाया।
साध्वी श्री डॉक्टर योगक्षेम प्रभा जी ने अपने वक्तव्य में विभिन्न दृष्टांतों के माध्यम से इंद्रिय संयम के विषय में बहनों को समझाया। साध्वी श्री जी ने “needs and demands” के फर्क को समझाते हुए बहनों की जिज्ञासाओं का समाधान किया।
साध्वी श्री निर्वाणश्री जी ने अपने प्रेरणा पाथेय में तीन योग एवं तीन गुप्तियों के संयम के विषय में बहनों को समझाया। साध्वी श्री जी ने फरमाया कि संयम – दुख मुक्ति का साधन है। साथ ही असंयम से पर्यावरण को होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक बनने की बहनों को प्रेरणा दी।
कार्यक्रम के अंतिम चरण में कोषाध्यक्ष अंजू जी नाहटा ने आज की कार्यशाला से संबंधित छोटे -छोटे संकल्पों की पर्चीयों का बहनों में वितरण किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन सह संयोजिका निशा जी दूगड़ द्वारा किया गया।
कार्यशाला में मुंबई महिला मंडल से पूर्वाध्यक्ष श्रीमती भारती जी सेठिया, विशेष सहयोगी प्रीति जी बोथरा, तत्व प्रचेता निर्मला जी नौलखा आदि बहनों की विशेष उपस्थिति रही। कार्यशाला में लगभग 38 बहनों की उपस्थिति रही।
कांदिवली महिला मंडल ने किया मासिक संगोष्ठी “रूपांतरण शिल्पशाला: संयम” का आयोजन
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