नॉर्थ सेंटिनल द्वीप भारत का एक ऐसा द्वीप है, जिस पर 60 हजार साल से इंसान रह तो रहे हैं, मगर हम आज तक नहीं जानते कि वे क्या खाते हैं, क्या बोलते हैं और महज 23 वर्ग मील के इस छोटे से द्वीप पर सूनामी, तूफान जैसी आपदाओं के बावजूद खुद को कैसे जिंदा रखे हुए हैं।
चर्चा में है द्वीप
अंडमान निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर से इसकी दूरी महज 50 किलोमीटर है। इस वक्त इस आइलैंड की चर्चा भारत से लेकर अमेरिका तक में हो रही है क्योंकि यहां के प्रतिबंधित जंगलों में पहुंचे एक अमेरिकी टूरिस्ट जॉन एलन चाऊ (27) की वहां के आदिवासियों ने तीर मारकर हत्या कर दी है। यह टूरिस्ट इस आइलैंड के भीतर गया, यह जानते हुए भी कि इस द्वीप पर रहने वाले आदिवासियों से किसी भी तरह का संपर्क बनाना मना है।
हेलिकॉप्टर पर चला दिए थे तीर
संपर्क न बनाने की दो बड़ी वजह हैं। पहला, ये लोग बाहरी दुनिया से संपर्क नहीं चाहते। जो भी इसकी कोशिश करता है, उन पर तीर-कमान से हमला कर देते हैं। ऐसे में संपर्क बनाना जानलेवा है। साल 2004 में आई सुनामी के वक्त सरकार ने कोस्ट गार्ड के हेलिकॉप्टर सेंटिनल द्वीप पर भेजे थे, ताकि सेंटिनली आदिवासियों की सहायता की जा सके, लेकिन आदिवासियों ने हेलिकॉप्टर पर ही तीर चलाने शुरू कर दिए थे। साल 2006 में दो मछुआरे अपनी नाव समेत भटककर आइलैंड के करीब पहुंचे, तो जान से हाथ धो बैठे। साल 1981 में जब एक जहाज आइलैंड की रीफ के पास फंसा था, तो आदिवासी तीर-कमान, भाले लेकर जहाज के क्रू पर हमला करने लगे। तब किसी तरह उन लोगों को हेलिकॉप्टर की मदद से बचाया गया।
नारियल देख खुश हुए आदिवासी
यूट्यूब चैनल जियो ब्रदर के एक विडियो के मुताबिक, साल 1991 में इन लोगों से पहली बार दोस्ताना संपर्क बना, जब एक नाव में कई नारियल लादकर आइलैंड के करीब ले जाए गए। तब पहली बार वहां नारियल गिराए गए और स्थानीय लोगों को उन्हें खुशी-खुशी उठाते देखा गया। असल में इस आइलैंड पर नारियल नहीं हैं और यहां के आदिवासी इन्हें बेहद पसंद करते हैं। मगर दोस्ताना संपर्क का यह पहला और आखिरी मौका था। सरकार ने इसके बाद साल 1997 में संपर्क की कोशिश छोड़ दी।
निहत्था इंसान पर भी खतरा
सेंटिनल द्वीप के आदिवासियों से संपर्क न करने की दूसरी बड़ी वजह है कि बाहरी दुनिया के संपर्क में आते ही इन लोगों को तमाम बीमारियां होने का खतरा है। यही वजह है कि ट्विटर पर कई लोग अमेरिकी नागरिक चाऊ के आदिवासियों से संपर्क बनाने की आलोचना कर रहे हैं। जेएस शहरयार नाम के एक शख्स ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए ट्वीट किया- मुझे डर है कि कहीं चाऊ के शरीर से आदिवासी लोगों के भीतर बीमारी या इन्फेक्शन न आ गया हो। अगर हममें से कोई भी एक इंसान निहत्था भी इन आदिवासी लोगों के बीच टहलने भर गया, तो उन्हें एनफ्लूएंजा, चिकनपॉक्स जैसी कोई भी बीमारी हो सकती है और इन लोगों की बची-खुची आबादी का भी सफाया कर देगी।
क्यों खास है यह द्वीप
– पोर्ट ब्लेयर से 50 किलोमीटर दूर है स्थित
-नॉर्थ सेंटिनल द्वीप महज 23 वर्ग मील में है फैला
– यहां आदिवासी करीब 60 हजार सालों से रह रहे हैं
– इनकी तादाद 100 से भी कम है
-2011 के सेंसस के मुताबिक द्वीप पर 10 घर हैं
– इन घरों में सिर्फ 15 लोग ही रहते हैं
– इनकी भाषा, संस्कृति और खानपान के बारे में कोई जानकारी नहीं है
आज भी रहस्य है नॉर्थ सेंटिनल द्वीप
Leave a comment
Leave a comment