- नोखा प्रवास के द्वितीय दिन स्वागत में अनेक प्रस्तुतियां
- केंद्रीय मंत्री श्री अर्जुनराम मेघवाल भी हुए कार्यक्रम में सम्मिलित
- पूज्यप्रवर ने दी सम्यक्त्व को पुष्ट बनाने की प्रेरणा
05.06.2022, रविवार, नोखा, बीकानेर (राजस्थान)। आदमी के जीवन में ईमानदारी, प्रमाणिकता, ट्रांसपेरेंसी का बड़ा महत्व होता है वैसे ही आध्यात्म के क्षेत्र सम्यक्त्व का बड़ा महत्व है। सम्यक्त्व अर्थात सही ज्ञान। सम्यक्त्व ऐसा मित्र है, जिससे बड़ा कोई मित्र नहीं, सम्यक्त्व से कीमती कोई रत्न नहीं व सम्यक्त्व से बड़ा कोई लाभ नहीं। संसार के रत्न, मित्र तो सिर्फ संसार तक सीमित होते है जबकि एक बार सम्यक्त्व आजाए तो आगे के जन्मों में भी वह साथ निभाता है। सम्यक्त्व अगर न हो तो चारित्र नहीं आसकता। सम्यक्त्व हमारा आत्म-कल्याण कराने वाला रत्न है। उपरोक्त उद्गार अहिंसा यात्रा प्रणेता आचार्य श्री महाश्रमण जी ने रविवार को नोखा में धर्मसभा में व्यक्त किए।
नोखा प्रवास के दूसरे दिन आचार्यश्री के दर्शनार्थ एवं सेवा हेतु सिर्फ स्थानीय ही नहीं अपितु आसपास के क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का आवागमन रहा। क्षेत्रीय कई राजनीतिक, सामाजिक, प्रशासनिक प्रतिनिधि भी शांतिदूत की शरण में आशीर्वाद लेने उपस्थित हुए। केंद्रीय संस्कृति एवं संसदीय कार्य मंत्री श्री अर्जुनराम मेघवाल भी आज आचार्यश्री के दर्शन कर कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। कार्यक्रम में साध्वीप्रमुखा श्री विश्रुतविभा जी एवं साध्वीवर्या श्री संबुद्धयशा जी ने उद्बोधन प्रदान किया।
एक कथानक के माध्यम से प्रेरणा देते हुए शांतिदूत ने आगे कहा की सम्यक्त्व को पुष्ट रखने के लिए श्रद्धा का होना जरूरी हैं कि जो जिनेश्वर भगवान ने कहा है वही सत्य है। सच्चाई के प्रति समर्पण, श्रद्धा होनी चाहिए। जीवन में सच्ची व अच्छी बात कहीं से भी मिले, ग्रहण कर लेनी चाहिए। साथ ही तत्वों का बोध भी आवश्यक है और कषाय मंदता भी सम्यक्त्व की पुष्टि के लिए जरूरी है। जीवन में सद् विचार एवं सदाचार रहे तो जीवन अच्छा बन सकता है। सादा जीवन उच्च विचार मानव जीवन का श्रृंगार।
केंद्रीय मंत्री श्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा – पेड़, सरोवर और मेघ की भांति संतगण भी परोपकार के लिए जीवन समर्पित कर देते है। आचार्य श्री महाश्रमण जी भी परोपकार करते हुए यहां नोखा पधारे है। गुरूदेव के वचनों से मैं अभिभूत हूं। नोखा से आपने जो आव्हान किया है वो बहुत दूर तक जाएगा। मैं स्वयं भी अणुव्रती हूं, आपकी शिक्षाएं लोगों के जीवन में भी उतरेंगी और यहां की चातुर्मास की मांग पर भी आज कभी न कभी विचार कराएंगे और क्षेत्र पर अपनी कृपा करेंगे।
आराध्य के नगर आगमन के संदर्भ में नोखा क्षेत्र से जुड़ी चारित्रआत्माओं ने भी अपने भावों की प्रस्तुति दी। मुनि जितेंद्र कुमार, मुनि मनन कुमार, मुनि नय कुमार, ‘शासन गौरव’ साध्वी श्री राजीमती जी, ’शासन श्री’ साध्वी समताश्री, साध्वी श्री कुसुमप्रभा, साध्वी श्री प्रभातप्रभा, साध्वी श्री सिद्धांतप्रभा ने भावाभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम संचालन मुनि दिनेश कुमार ने किया।
महासभा पंचमंडल सदस्य श्री भंवरलाल बैद, श्री कमलकिशोर ललवानी, श्री भोजराज बैद, कवि श्री इंदरचंद बैद, डॉ. प्रेमसुख मराठी, श्री लाभचंद छाजेड़, श्री महावीर नाहटा, साधुमार्गी संघ से श्री ईश्वरचंद बैद, श्री महेंद्र संचेती, श्री पुनीत बैद, तेमम अध्यक्ष श्रीमती मंजू बैद ने अपने विचार रखे। मरोठी परिवार की महिलाओं, पूर्व कन्या मंडल सदस्याओं एवं ज्ञानशाला के बच्चों ने पृथक–पृथक रूप में गीत एवं परिसंवाद द्वारा प्रस्तुति दी। तेरापंथ महिला मंडल एवं कन्या मंडल की बहनों ने 11 भाषाओं में स्वागतमय प्रस्तुति दी। कल सोमवार को आचार्यश्री प्रातः जोरावरपुरा पधारेंगे जहां प्रवचन आदि कार्यक्रमों का समायोजन होगा। तत्पश्चात वहां से सायंकाल नोखा गांव में गुरूदेव का पदार्पण होगा।