लखनऊ। कई किताबें इतिहास के अहम दस्तावेज होती हैं, लेकिन कई नए विवादों को भी जन्म दे देती हैं। ऐसा ही विवाद रीता बहुगुणा जोशी की लिखी किताब से सामने आ रहा है। प्रयागराज से भाजपा सांसद रीता बहुगुणा जोशी ने अपने स्वर्गीय पिता और उत्तर प्रदेश के पूर्व CM हेमवती नंदन बहुगुणा जोशी के जीवन पर एक किताब लिखी है। 325 पेज की किताब ‘हेमवती नंदन बहुगुणा: भारतीय जनचेतना के संवाहक’ में कांग्रेस के पूर्व प्रधानमंत्री समेत तमाम नेताओं का जिक्र है।
विमोचन से पहले ही विवाद बढ़े
हेमवती नंदन बहुगुणा कांग्रेस के बड़े नेता थे, बावजूद इसके उनका पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से कई मुद्दों पर मतभेद रहता था। पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह से भी गहरे मतभेदों को इस किताब में जगह दी गई है। इतना ही नहीं, संजय गांधी, अमिताभ बच्चन और केंद्रीय मंत्री रहीं राजेंद्र कुमारी बाजपेई की कहानियों ने सवाल खड़े किए हैं। यह किताब विमोचन से पहले ही सुर्खियों में है और विवादों में भी।
हेमवती को हराने के लिए इंदिरा गांधी ने की थीं 34 जनसभाएं
कांग्रेस नेता हेमवती नंदन बहुगुणा का इंदिरा गांधी से मतभेद खुलकर सामने आने के बाद 1980 में उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी। 1981 में गढ़वाल में हुए उपचुनाव में वह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरे। इंदिरा गांधी ने उन्हें हराने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया। उन्होंने तब कुल 34 चुनावी सभाएं की थी। 18 मुख्यमंत्री भी चुनाव प्रचार में लगे थे। यह चुनाव दस महीने चला। एक बार रद्द किया गया, तो दो बार तारीख बदली। इसके बाद भी स्थानीय स्तर पर लोगों ने नारा दिया ‘गढ़वा का चंदन हेमवती नंदन’। उस चुनाव में बहुगुणा भारी मतों से विजयी रहे। यह हार बहुत दिनों तक पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा को चुभती रही। इस बात का खुलासा इलाहाबाद की सांसद डॉ. रीता ने अपनी किताब में किया है।
वीपी सिंह को बताया ‘कुंठित मानसिकता के व्यक्ति’
अपनी किताब में रीता ने कांग्रेस के कई दिग्गजों का जिक्र हेमवती नंदन बहुगुणा के संदर्भ में किया है। उन्होंने लिखा है कि हेमवती नंदन नहीं चाहते थे कि पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह को देश की बागडोर मिले। उनका मानना था कि वह कुंठित मानसिकता के व्यक्ति हैं। यदि वो शीर्ष पद पर बैठे तो राष्ट्र बर्बाद हो जाएगा। यह भी बताया है कि वीपी सिंह को कांग्रेस की सदस्यता और पहली बार टिकट भी उनकी मां कमला बहुगुणा ने दिलाया था।
संजय गांधी और इमरजेंसी का विरोध किया था हेमवती ने
रीता बहुगुणा जोशी ने अपने पिता के संघर्षों की कहानी लिखते हुए संजय गांधी का जिक्र भी किया है। रीता ने लिखा है कि बहुगुणा और इंदिरा के मतभेद बढ़ चुके थे। कांग्रेस छोड़ने से पहले उन्होंने 1980 के चुनाव में तीस लोगों के लिए टिकट मांगा। इंदिरा ने मना कर दिया, तब कांग्रेस पर संजय गांधी का खूब प्रभाव था। लोग उनके आगे-पीछे ही घूमते थे। बहुगुणा ने अपने स्वाभिमान से समझौता नहीं किया और संजय गांधी के पास टिकट के लिए नहीं गए। इमरजेंसी का भी उन्होंने विरोध किया था। फोन पर इंदिरा से कहा था कि ये क्या कर दिया। वह फासीवादी विचारधारा के सख्त खिलाफ थे।
बहुगुणा की किताब पर बवाल: सांसद ने लिखा- पिता ने इंदिरा से मतभेद के कारण कांग्रेस छोड़ी थी
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