पटना:2019 लोकसभा चुनाव में एनडीए में ही नहीं महागठबंधन में सीटों का बंटवारा आसान नहीं होगा। बिहार में महागठबंधन के अंदर तीन राज्यों के आम चुनाव के बाद सीट बंटवारे को लेकर बातचीत में तेजी आएगी। वहीं सूत्रों के अनुसार महागठबंधन 9 दलों-राजद, कांग्रेस, हम, सपा, बसपा, रालोद, भाकपा माले, भाकपा और माकपा का बड़ा गठबंधन होगा। ऐसे में यदि रालोसपा भी शामिल होती है तो दलों की संख्या दस हो जाएगी। इसमें राजद के अकेले 20 सीटों पर चुनाव लड़ने की चर्चा है। बाकी 20 में सबसे अधिक कांग्रेस, इसके बाद रालोसपा (यदि महागठबंधन में आई तो), फिर हम और इसके बाद सपा, बसपा, भाकपा को एक-एक सीट देने की बात आ रही है। इसके बावजूद तीन सीटें बचेंगी, जिन्हें आपसी समन्वय के आधार पर बांटा जा सकता है। घटक दलों की संख्या के मद्देनजर महागठबंधन में सीटों का बंटवारा आसान नहीं होगा।
महागठबंधन का सबसे बड़ा घटक दल राजद राजस्थान विधानसभा चुनाव, छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव और मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की व्यस्तता को लेकर किसी हड़बड़ी में नहीं है। वहीं, राजद में भी लालू परिवार पर आए तेज प्रताप का संकट व लालू प्रसाद की बिगड़ती सेहत को लेकर चिंता बनी हुई है।
राजद के वरिष्ठ नेताओं के अनुसार लोकसभा चुनाव में अभी वक्त है, घटक दलों के बीच सीट बंटवारे का मुद्दा आपसी समन्वय से निबटा लिया जाएगा। राजद का मानना है कि कांग्रेस या राजद कोई पहली बार बिहार में गठबंधन नहीं कर रहे हैं। ऐसे में सीटों के तालमेल को लेकर कोई बड़ी परेशानी नहीं होगी।
उपेंद्र कुशवाहा के निर्णय का इंतजार
वहीं, रालोसपा के अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा के रुख का भी महागठबंधन के घटक दल इंतजार कर रहे हैं। राजद और हम के शीर्ष नेता-तेजस्वी और जीतनराम मांझी ने खुले रूप से उपेंद्र कुशवाहा को निमंत्रण भी दे दिया है। राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने तो कहा है कि उपेंद्र कुशवाहा को अपने दिल की बात सुननी चाहिए, दिमाग की नहीं।
NDA की तरह महागठबंधन में भी फंस सकता है सीटों का ‘पेंच’
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