मीना सामर, गुजरात (सूरत)
नारी सम्मान की जब बात आती है तो एक ही दिन उभरकर सामने आता है राष्ट्रीय महिला दिवस मैं यह कहना चाहती हूं क्या हम नारी एक ही दिन की अधिकारी क्यों 364 दिन मैं हम किस जगह हैं हारी क्यों नारी लगती है सब को भारी।
नारी का दुनिया में सर्वाधिक गौरवपूर्ण सम्मानजनक स्थान है। नारी धरती की धुरा है। स्नेह का स्रोत है। मांगल्य का महामंदिर है। परिवार की पीढ़िका है। पवित्रता का पैगाम है। उसके स्नेहिल साए में जिस सुरक्षा, शाीतलता और शांति की अनुभूति होती है वह हिमालय की हिमशिलाओं पर भी नहीं होती। किसी ने ठीक कहा था-‘नारी सत्यं, शिवं और सुंदर का प्रतीक है। उसमें नारी का रूप ही सत्य, वात्सल्य ही शिव और ममता ही सुंदर है। इन विलक्षणताओं और आदर्श गुणों को धारण करने वाली नारी फिर क्यों बार-बार छली जाती।
आज का युग आज इतना आगे बढ़ गया है फिर भी नारी पर कहीं ना कहीं जुल्म है जारी लेकिन नारी नहीं है बेचारी इसके हर एक रुप में है नवदुर्गा अवतारी जो पुरुष कहते हैं कि तुम नारी हो नारी हो नारी हो नारियों की अकल तो पांव की एड़ियों में होती हैं तो मैं उन पुरुषों को कहना चाहूंगी कि आप भूल जाते हैं उन्हें एड़ियों पर पूरे शरीर का भार होता है नारियां तोहफा है ईश्वर का नायाब जिसके आंचल में पलता है परिवार का हर एक ख्वाब जिस की छांव में मिलता है हर एक को विश्राम ।
महिला दिवस पर सबसे अलग दिखने वाली महिला की छवि प्यार, स्नेह और मातृत्व की है। यह दिन यह गणना करने के बारे में भी है कि हम महिलाओं ने आखिरकार कितने मील के पत्थर पार कर लिए हैं।
21वीं सदी की नारी ने अपनी शक्ति को पहचाना है। उसने अपने अधिकांश अधिकारों के लिए लड़ना सीख लिया है। आज महिलाओं ने साबित कर दिया है नारी शक्तिशाली है और उसकी शक्ति हर रूप में प्रकट होती है।
पवित्रता मेरी पहचान पुरुषार्थी मेरा जीवन मेरे कर्म ही मेरी काशी जीवन में नहीं मेरे कभी उदासी हां मैं हूं नारी हां मैं हूं नारी।