- अदालत का आदेश कार्रवाई सुनिश्चित न होने पर याची न्यायालय आने को स्वतंत्र
- ऑल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष श्रीकांत शास्त्री ने दाखिल कि थी याचिका
प्रभुनाथ शुक्ल/भदोही। इलाहबाद उच्च न्यायालय ने अपने एक अहम फैसले में सरकार को उत्तर प्रदेश प्रेस मान्यता समिति का गठन करने का आदेश दिया है। इस मामले में ऑल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार आचार्य श्रीकांत शास्त्री ने अदालत में याचिका दाखिल किया था। उच्च न्यायालय में याची ने अपने अधिवक्ता के जरिए मजबूत दलील देते हुए कहा था कि सूचना एवं जनसंपर्क विभाग उत्तर प्रदेश प्रेस मान्यता समिति के गठन में हो रही देरी के कारण पत्रकारों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। संस्थान की तरफ से प्रदेश के पत्रकारों के हित की अनदेखी की जा रही है। शासन प्रशासन द्वारा बनी समितियां तय समय पर गठित होनी चाहिए।
सूचना एवं जनसंपर्क विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा दिनांक 16 जून , 2020 को एक पत्र जारी कर उ.प्र. प्रेस मान्यता समिति के गठन के लिए प्रदेश के पत्रकार संगठनों से सदस्यता के लिए आवेदन मांगा गया था। जिसमें आवेदन की अंतिम तिथि छह जुलाई , 2020 निर्धारित की गई थी। अन्य संगठनों के साथ ‘ऑल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन’ ने भी अपना दावा प्रस्तुत किया था। लेकिन इसके बाद भी समितियों का गठन नहीं किया गया।
उच्च न्यायालय में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता संतोष कुमार त्रिपाठी ने बहस की, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता तथा न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने याचिका को इस आदेश के साथ निस्तारित करते हुए आदेश दिया। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि चुनावी आचार संहिता खत्म होने एवं नई सरकार के गठन के उपरांत उत्तर प्रदेश प्रेस मान्यता समिति का गठन सुनिश्चित किया जाय। अगर अदालत के आदेश को संज्ञान में नहीं लिया जाता है तो याची नयी याचिका न्यायालय के समक्ष दाखिल कर सकता है।
शास्त्री ने इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा है कि प्रदेश के समस्त पत्रकारों के हित के लिए शासन, प्रशासन एवं पीसीआई अगर पत्रकार हितों पर गौर नहीं करती है तो न्यायालय के माध्यम से यह लड़ाई लड़ी जाएगी।