मुंबई:मुंबई पुलिस के बर्खास्त एपीआइ सचिन वाझे ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को एक पत्र लिखा है। इसमें उसने महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख और अन्य के खिलाफ केंद्रीय एजेंसी द्वारा दर्ज मनी लांड्रिंग मामले में सरकारी गवाह बनने की इच्छा जताई है। वाझे वर्तमान में अंटीलिया बम कांड में न्यायिक हिरासत में है। वह मनी लांड्रिंग मामले में भी आरोपित है जिसमें देशमुख को गिरफ्तार किया गया है।
ईडी के सहायक निदेशक तासीन सुल्तान को लिखे पत्र में उसने कहा है कि वह इस मामले में सक्षम मजिस्ट्रेट के समक्ष स्वेच्छा से सच्चाई बयां करना चाहता है और जो कुछ उसे पता है वह सब कुछ बताना चाहता है।इसी मामले से जुड़े एक अन्य घटनाक्रम में ईडी ने बुधवार को विशेष अदालत के समक्ष देशमुख की जमानत याचिका का विरोध किया। जांच एजेंसी ने कहा कि याचिका में कोई दम नहीं है और उसे खारिज कर दिया जाना चाहिए।
अनिल देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर रही सीबीआइ उनके निजी सचिव रहे संजीव पलांदे और निजी सहायक रहे कुंदन शिंदे के बयान दर्ज कर रही है। दोनों मुंबई की आर्थर रोड जेल में बंद हैं। जांच एजेंसी सोमवार से उनसे पूछताछ कर रही है और यह गुरुवार को भी जारी रहेगी। दोनों को ईडी ने गिरफ्तार किया था।
महाराष्ट्र पुलिस से बर्खास्त एपीआइ सचिन वाझे चांदीवाल आयोग के समक्ष दिए गए अपने बयान से मुकर गया है। इसमें उसने कहा था कि प्रदेश के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख और उनसे जुड़े करीबी लोग उससे धन वसूली नहीं करवा रहे थे, अब उसने वसूली करवाने की बात कही है। वाझे ने कहा कि देशमुख के प्रभाव (स्टाकहोम सिंड्रोम) में होने की वजह से उसने शुरुआत में पूर्व गृह मंत्री के पक्ष में बयान दिया था।
सचिव वाझे ने आयोग के समक्ष अतिरिक्त हलफनामा दाखिल किया है जिसे खारिज कर दिया गया है। इसमें वाझे ने दावा किया है कि तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख ने हमेशा उसे जबर्दस्त मानसिक प्रताड़ना दी और उत्पीड़न किया और यह सिलसिला उनके इस्तीफे के बाद भी जारी रहा। उसने यह भी कहा है कि उसने देशमुख को सीधे पैसे दिए और उनसे जुड़े व्यक्ति भी उससे पैसों की मांग करते थे।
हलफनामे में वाझे ने यह भी कहा है कि तलोजा जेल में उसे चिकित्सकीय सुविधाएं और चिकित्सकीय स्थिति के मुताबिक खाने से वंचित रखा जा रहा है। उसने दावा किया कि अपराध शाखा की हिरासत में उसे यातनाएं दी जा रही थीं और उत्पीड़न किया जा रहा था। वह जबर्दस्त दबाव में था।