नई दिल्ली:तालिबान का एक प्रतिनिधिमंडल तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत पाइपलाइन (TAPI) गैस पाइपलाइन पर बातचीत के लिए तुर्कमेनिस्तान के लिए पहुंच रहा है। तालिबान के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी कर रहे हैं।
रूसी समाचार एजेंसी स्पूतनिक की रिपोर्ट मुताबिक प्रतिनिधिमंडल तुर्कमेनिस्तान के निमंत्रण पर तुर्कमेनिस्तान के अधिकारियों के साथ द्विपक्षीय व्यापार, ऊर्जा, रेलवे, तापी परियोजना और स्कॉलरशिप्स पर बातचीत करने के लिए अश्गाबात पहुंच रहा है।
क्या है TAPI प्रोजेक्ट और तालिबान ने यह अहम क्यों है?
एशियाई विकास बैंक (ADB) की मदद से TAPI पाइपलाइन प्रोजेक्ट को विकसित किया जा रहा है। यह पाइपलाइन प्राकृतिक गैस को तुर्कमेनिस्तान के गल्किनेश गैस फील्ड से अफगानिस्तान होते हुए पाकिस्तान और फिर भारत पहुंचेगा। प्रोजेक्ट का काम 13 दिसंबर 2015 को तुर्कमेनिस्तान में शुरू हुआ था। प्रोजेक्ट के अफगानिस्तान वाले हिस्से पर फरवरी 2018 और पाकिस्तान वाले हिस्से में दिसंबर 2018 में काम शुरू हुआ था।
इस पाइपलाइन प्रोजेक्ट की शुरुआती अनुमानित लागत करीब 56 हजार करोड़ थी जो अब बढ़कर 74 हजार करोड़ तक पहुंच गई है। 1814 किलोमीटर वाले इस पाइपलाइन की क्षमता सालाना 33 बिलियन क्यूबिक मित्र नेचुरल गैस की है। तुर्कमेनिस्तान के गल्किनेश गैस क्षेत्र से शुरू होकर यह पाइपलाइन अफगानिस्तान में कंधार-हेरात, पाकिस्तान में क्वेटा-मुल्तान के रास्ते भारत के फाजिल्का शहर तक आएगी।
तालिबान के लिए क्यों अहम है यह प्रोजेक्ट?
अफगानिस्तान की टोलो न्यूज की एक रिपोर्ट बताती है कि TAPI प्रोजेक्ट का उद्घाटन 2020 में होने की उम्मीद थी लेकिन ADB द्वारा वित्त पोषण के वादों के बावजूद परियोजना का निर्माण अभी तक अधूरा है।
तालिबान के लिए, TAPI पाइपलाइन को सुरक्षित करना अफगानिस्तान में सत्ता के लिए उनके अभियान का एक प्रमुख हिस्सा रहा है। TAPI न सिर्फ अफगानिस्तान को ऊर्जा संसाधन उपलब्ध कराएगा, बल्कि ट्रांजिट फीस के रूप में राजस्व भी प्रदान करेगा।