नई दिल्ली:भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) ने कोविड-19 के नए वैरिएंट से पैदा हुए खतरे से निपटने के लिए कुछ उपाय अपनाने का फैसला किया है और उसने बुधवार को कहा कि खिलाड़ियों के लिए राष्ट्रीय शिविर और अभ्यास केंद्रों में पहुंचने के बाद रैपिड एंटीजन टेस्ट (आरएटी) करवाना अनिवार्य होगा। ताजा दिशानिर्देशों के उलट पिछले साल टोक्यो ओलंपिक से पहले साइ द्वारा जारी की गई एसओपी के अनुसार एक खिलाड़ी को शिविर पहुंचने के 72 घंटे के अंदर आरटी-पीसीआर जांच करानी होती थी जिसके नेगेटिव आने पर ही खिलाड़ी शिविर का हिस्सा बन सकता था। साइ ने देश भर में बढ़ते ओमिक्रॉन के पॉजिटिव मामलों के बाद नयी एसओपी जारी की है।
विभिन्न राष्ट्रीय उत्कृष्ट केंद्रों (एनसीओई) में और मौजूदा राष्ट्रीय कोचिंग शिविरों में इन दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन किया जाएगा। अभ्यास केंद्रों में पहुंचने के बाद सभी खिलाड़ियों को अनिवार्य रैपिड एंटीजन टेस्ट (आरएटी) से गुजरना होगा। साइ ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा, ‘अगर जांच का नतीजा नेगेटिव आता है तो वे ट्रेनिंग करेंगे और जुड़ने के छठे दिन तक अलग से खाना खाएंगे। पांचवें दिन फिर से आरएटी कराया जाएगा। इसके अनुसार जिनका पॉजिटिव नतीजा आता है तो वे आरटीपीसीआर टेस्ट से गुजरेंगे और उन्हें अलग रखा जाएगा जबकि नेगेटिव आने वाले खिलाड़ी सामान्य ट्रेनिंग करना जारी रखेंगें।’
शिविरों में कोविड-19 पॉजिटिव मामलों या लक्षण वाले खिलाड़ियों के लिये उचित क्वारंटाइन सुविधाएं बनाई गयी हैं तथा सुविधाओं को एक दिन में दो बार सैनिटाइज किया जाएगा। साथ ही एक ‘माइक्रो बायो-बबल’ (छोटा बायो-बबल) भी होगा जिसमें खिलाड़ियों को ट्रेनिंग और डाइनिंग के लिये छोटे ग्रुप में विभाजित किया जाएगा। खिलाड़ियों को सख्ती से दूसरे ग्रुप से बातचीत से बचने के लिये कहा जाएगा। इसके अलावा एनसीओई में खिलाड़ियों, कोच, सहयोगी स्टाफ और गैर निवासी स्टाफ की प्रत्येक 15 दिन में एक बार ‘रैंडम’ जांच भी की जाएगी।
विज्ञप्ति में यह भी कहा गया, ‘साथ ही यह सिफारिश भी की गयी है कि खिलाड़ी केवल उन्हीं प्रतिस्पर्धाओं में हिस्सा लेंगे जिसकी सिफारिश उनके संबंधित राष्ट्रीय खेल महासंघों और साइ के मुख्यालय अधिकारियों द्वारा की गई है। ‘ इसमें कहा गया कि आमंत्रण टूर्नामेंट और गैर ओलंपिक क्वालीफाइंग प्रतियोगिताओं के लिये सिफारिश एनसीओई के संबंधित क्षेत्रीय निदेशकों द्वारा की जाएगी।