- शान्तिदूत आचार्यश्री महाश्रमण के दर्शन सवाई माधोपुर का उल्लास हुआ सवाया
- भव्य व विराट जुलूस के साथ नगरवासियों पर आशीष प्रदान करते हुए मुणोत अतिथि भवन
- महात्मा नहीं तो सदात्मा बनने का प्रयास करे आदमी: महातपस्वी महाश्रमण
- विराट जनमेदिनी ने स्वीकार की संकल्पत्रयी, नगरवासियों ने अर्पित की प्रणति
- आचार्य महाश्रमण ही बना सकते हैं उच्च नैतिकता के मानव: राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा
12.12.2021, रविवार, सवाई माधोपुर (राजस्थान)। मानवता का शंखनाद करते हुए राजस्थान की धरती पर गतिमान जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें देदीप्यमान महासूर्य, शान्तिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अपनी धवल सेना के साथ प्राकृतिक सौंदर्य से सम्पन्न सवाई माधोपुर में मंगल प्रवेश किया तो यह नगर महाश्रमणमय बन गया। 40 वर्षों बाद इस नगर में तेरापंथ के अधिशास्ता के दर्शन और मंगल आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए तो श्रद्धा का सैलाब ही उमड़ पड़ा। मानवता के मसीहा के आगमन से सवाया हुआ श्रद्धालुओं का उत्साह उनके बुलंद जयघोष स्पष्ट महसूस किया जा सकता था। नगर के विभिन्न धर्मों के स्थानों, घरों, प्रतिष्ठानों आदि के समक्ष जहां भी लोगों ने आचार्यश्री के दर्शन किए तो आचार्यश्री ने अपने चरणों को थामकर उन पर आशीष वृष्टि की। जो सड़क मार्ग से नहीं देख पा रहे थे वे अपने घरों के छतों और झरोखों से आचार्यश्री की एक झलक के लिए टकटकी लगाए हुए थे। बैंड-बाजों की धुन व स्कूली छात्राओं का बैंड दस्ता आचार्यश्री के आगे-आगे चल रहा था। अपने-अपने गणवेश में शामिल विभिन्न संस्थाओं के सदस्य व सदस्याएं उत्साह के साथ आचार्यश्री के मंगल चरणों के अनुगामी बने हुए थे। सभी पर समान रूप से आशीष वृष्टि करते हुए शान्तिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी सवाई माधोपुर नगर स्थित श्रीमती शरदचन्द्रिका मुणोत अतिथि भवन में पधारे। आचार्यश्री कुस्तला से लगभग नौ किलोमीटर का विहार कर सवाई माधोपुर पधारे थे, किन्तु भव्य स्वागत जुलूस व विभिन्न स्थानों में पधारने के कारण आचार्यश्री दोपहर बारह बजे निर्धारित प्रवास स्थल में पधारे।
कुछ समय पश्चात ही आचार्यश्री प्रवास स्थल से कुछ सौ मीटर की दूरी पर स्थित नृसिंह भगवान मंदिर के बगीचे में पधारे प्रवचन पंडाल में पधारे। मंगल महामंत्रोच्चार के उपरान्त आचार्यश्री ने सर्वप्रथम नगरवासियों को सम्यकत्व दीक्षा (गुरुधारणा) प्रदान की। तदुपरान्त अपनी अमृतवाणी का रसपान कराते हुए कहा कि इस दुर्लभ मानव जीवन में समय बहुत मूल्यवान है। आदमी को समय के महत्त्व को जान उसका सदुपयोग करना चाहिए। आचार्यश्री ने परमात्मा, महात्मा, सदात्मा और दुरात्मा की व्याख्या करते हुए कहा कि इस धरती पर परमात्मा तो प्राप्त है नहीं, महात्मा भी बन जाना सबके लिए संभव नहीं तो आदमी को कम से कम सदात्मा बनने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को धर्ममय जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए। आदमी के जीवन में सरलता, ईमानदारी रहे। तमाम भिन्नताओं के बावजूद आपस में मैत्री भाव बना रहे। लोग नशामुक्त जीवन जीने का प्रयास करें। सबके विचार, आचार और संस्कार अच्छे हों तो मानव जीवन सार्थक हो सकता है।
आचार्यश्री ने आगे कहा कि 40 वर्ष परम पूज्य गुरुदेव तुलसी सवाई माधोपुर पधारे थे। आज हमारा भी आना हो गया। यहां की जनता में धार्मिकता, मनुष्यता व नैतिकता का विकास होता रहे, सब अच्छा रहे। आचार्यश्री ने समुपस्थित जनमेदिनी को अहिंसा यात्रा की अवगति प्रदान कर इसके संकल्पों को स्वीकार करने का आह्वान किया तो उपस्थित जनमेदिनी ने अपने-अपने स्थान पर खड़े होकर तीनों संकल्पों को सोल्लास स्वीकार किया।
आचार्यश्री के दर्शनार्थ और स्वागतार्थ उपस्थित राज्यसभा सांसद श्री किरोड़ीलाल मीणा ने आचार्यश्री के समक्ष अपने हृदयोद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि परम पावन आचार्यश्री महाश्रमणजी के दर्शन को आज सवाई माधोपुर में जो भक्तों का जन सैलाब उमड़ा है, वैसी उपस्थिति मैंने आज तक नहीं देखी। आपकी हमारे नगर को पावन बनाने वाले हे महासंत आचार्यश्री महाश्रमण आपकी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। आपका बहुत-बहुत स्वागत है, अभिनन्दन है। जब आचार्यश्री तुलसी यहां पधारे तो हम चुनाव हारने के बात निराश हो गए थे, लेकिन उनके प्रवचनों को सुनकर हमारी सारी निराशा जाती रही और आज आपश्री के प्रवचनों का श्रवण कर मैं यह विश्वास के साथ कह सकता हूं कि उच्च नैतिकता वाले मानवों का निर्माण सिर्फ आचार्यश्री महाश्रमणजी ही कर सकते हैं। आपकी अहिंसा यात्रा के तीनों संकल्पों के द्वारा ही आदमी को उच्च नैतिकता की प्राप्ति हो सकती है। आज आपके करीब से दर्शन कर मुझे ऐसा लगा मानों साक्षात् भगवान त्रिनेत्र गणेश के दर्शन कर लिए।
तदुपरान्त स्थानीय पूर्व विधायक श्री मोतीलाल मीणा, तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री नरेन्द्र जैन, तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष श्री अखिल जैन, महिला मण्डल की अध्यक्ष श्रीमती प्रीति जैन, अणुव्रत समिति के मंत्री श्री प्रदीप जैन, पोरवाल समाज के पूर्व मंत्री श्री रतनलाल जैन, रत्न हितैषी श्रावक संघ के श्री कुशल जैन आदि ने अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति दी। स्थानीय तेरापंथ महिला मण्डल ने गीत का संगान किया। तेरापंथ कन्या मण्डल व ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति के माध्यम से अपने आराध्य के श्रीचरणों में अपनी प्रणति अर्पित की।