राजौरी: पीर पंजाल क्षेत्र के चार दिवसीय दौरे पर निकले गुलाम नबी आजाद ने पुंछ के कृष्ण चंद्र पार्क में आयोजित एक जनसभा के दौरान लोगों को साफ कर दिया कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की पुनाबहाली अब मुमकिन नहीं है। इसलिए वह लोगों के समक्ष इसको लेकर कोई झूठा वायदा नहीं करते। हालांकि उन पर कई बार यह अारोप लगाए गए कि वह इस पर बात नहीं करते परंतु वह संसद में अकेले सदस्य थे, जिन्होंने बार-बार अनुच्छेद 370 और 35-ए का मुद्दा उठाया।
आजाद ने यह स्पष्ट किया कि अनुच्छेद 370 को फिर बहाल करना अब या तो सुप्रीम कोर्ट के हाथ में है या फिर सरकार के। मौजूदा सरकार ने इसे हटाया है, तो हम उनसे इसकी उम्मीद नहीं कर सकते। अगर कांग्रेस 300 सीटें हासिल करती है तो वह इसे बहाल करने के लायक बनती है परंतु मौजूदा स्थिति को देखते हुए उन्हें इसकी उम्मीद नहीं है। वह चाहते हैं कि कांग्रेस बेहतर करे और वह अल्लाह से इसकी दुआ भी करते हैं परंतु अभी वह लोगों से कोई वायदा नहीं करेंगे।
आजाद ने अनुच्छेद 35-ए और 370 को निरस्त करने को एक संवैधानिक संशोधन करार दिया, लेकिन यह गलत तरीके से किया गया क्योंकि ऐसा कोई संशोधन लाने के लिए केवल राज्य विधानसभा को अधिकृत किया गया था पर इसे सदन में लाया गया। जनसभा के दौरान अपने संबोधन में गुलाम नबी आजाद ने कहा कि अनुच्छेद 35-ए और 370 को हटाना किसी भी अन्य संवैधानिक संशोधन की तरह है, लेकिन यह गलत तरीके से किया गया है। सैकड़ों बार संसद ने संवैधानिक संशोधन लाए और इस तरह के संशोधन राज्य विधानसभा द्वारा जम्मू-कश्मीर के संविधान में भी लाए गए।
आजाद ने अनुच्छेद 35-ए और 370 को निरस्त करने का जिक्र करते हुए कहा कि भारत सरकार ऐसे संवैधानिक संशोधन ला सकती है, लेकिन केवल राज्य विधानसभा के माध्यम से, संसद नहीं। राज्य का विभाजन और विभाजन केवल राज्य विधानसभा के माध्यम से किया जा सकता है न कि संसद के माध्यम से, लेकिन अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है और मैं इस पर आगे टिप्पणी करने से बचूंगा। मैं राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए लड़ता हूं, जिसका वादा प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने संसद के पटल पर किया था, जिन्होंने जम्मू-कश्मीर में जल्द से जल्द चुनाव कराने का वादा किया।
प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर के नेताओं की एक सर्वदलीय बैठक बुलाई जिसमें मैं पहले स्पीकर था और जिन बिंदुओं को मैंने उठाया उनमें परिसीमन अभ्यास और अंत में चुनाव की तुलना में पहली बार में राज्य का दर्जा बहाल करना शामिल था। आजाद ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के निवासियों के लिए नौकरी की सुरक्षा और भूमि सुरक्षा और कश्मीरी पंडितों की वापसी के लिए बिल जैसी मांगें रखी हैं।हम भारत सरकार से जम्मू और कश्मीर के निवासियों के लिए भूमि और नौकरी की सुरक्षा के प्रावधानों को विधेयक में शामिल करने की मांग करते हैं, जिसे जम्मू और कश्मीर में राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए संसद में लाया जाए। आजाद ने कहा कि जम्मू-कश्मीर का मुख्यमंत्री बनने का कोई लालच नहीं है, बल्कि जमीन और नौकरी की सुरक्षा के साथ-साथ जल्दी चुनाव कराने का है।
एलजी अच्छे हैं, लेकिन नौकरशाही लोकतंत्र की जगह नहीं ले सकती : आजादइस सर्दी में परिसीमन अभ्यास पूरा करने उसके बाद चुनाव पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने बुधवार को कहा कि वर्तमान उपराज्यपाल अच्छे हैं, लेकिन हम नौकरशाही की इस व्यवस्था के खिलाफ हैं क्योंकि नौकरशाही चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकार की जगह नहीं ले सकती।राज्यपाल और उपराज्यपाल अच्छे हैं और वर्तमान एलजी भी हैं, लेकिन नौकरशाही की व्यवस्था अच्छी नहीं है।उन्होंने कहा कि विधायक जैसे निर्वाचित प्रतिनिधि जनता और सरकार के बीच का रास्ता हैं जो अब गायब हैं।हम सरकार से मांग करते हैं कि जम्मू-कश्मीर में चल रहे परिसीमन अभ्यास को केवल इस सर्दियों में पूरा किया जाए और राज्य का दर्जा बहाल किया जाए और बिना किसी देरी के चुनाव कराया जाए।