- करोंदी से शम्भूपुरा तथा शम्भूपुरा से नयागांव स्थित कौटिल्य कॉलेज में पहुचें शांतिदूत
- शास्त्रों की शिक्षा से बदल सकती है जीवन की दशा व दिशा: आचार्य महाश्रमण
- गुरु सन्निधि में पहुंचे मुनि कमलकुमारजी ने दी श्रद्धासिक्त अभिव्यक्ति
- चम्बल नदी पर बना हैंगिंग ब्रिज पूज्यचरणों से बना पावन
01.12.2021, बुधवार, नयागांव, कोटा (राजस्थान)। जन कल्याण के लिए जनकल्याणकारी अहिंसा यात्रा के साथ राजस्थान में गतिमान जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान देदीप्यमान महासूर्य, शांतिदूत, अखंड परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना का कुशल नेतृत्व करते हुए करोंदी से प्रातः की मंगल बेला प्रस्थान किया। आसमान में छाए बादल और मंद गति से चलने वाली हवा ने सर्दी में मानों इजाफा कर दिया, बावजूद इसके महातपस्वी महाश्रमण गतिमान थे। रास्ते में आने वाले अनेक गांवों के लोगों पर आशीष वृष्टि करते हुए लगभग पन्द्रह किलोमीटर का विहार कर शम्भूपुरा मोड़ पधारे। मोड़ के आसपास दूर-दूर तक फैली झाड़ियों के साथ एक स्थान पर बने अर्द्धनिर्मित मकान में विराजे तो ऐसा लगा मानों पत्थरों व झाड़ियों का जंगल भी शान्तिदूत का चरणरज पाकर मंगलमय बन गया।
यहां आयोजित प्रातःकाल के मुख्य मंगल प्रवचन कार्यक्रम में आचार्यश्री ने समुपस्थित श्रद्धालुओं को पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि शास्त्रकार ने चार निर्देश दिए हैं जो साधना व व्यवहार की दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं। पहली बात बताई गई कि बिना पूछे नहीं बोलना चाहिए। कोई जब तक आपको न बुलाए तब तक नहीं बोलना चाहिए। जहां जब तक कोई पूछे नहीं, कोई सलाह न मांगे तब तक आदमी न तो बोलना चाहिए और न हीं किसी प्रकार की सलाह देना चाहिए। यह वाणी संयम की बात भी हो जाती है। दूसरी बात बताई गई कि यदि कोई पूछे तो आदमी को झूठ नहीं बोलना चाहिए। सत्य नहीं बोल सकते तो भले मौन हो जाए, किन्तु झूठ नहीं बोलना चाहिए। अपंडितों के लिए मौन तो मानों आभूषण के समान बताया गया है। ज्ञान होने पर भी आदमी को जहां तक संभव हो, मौन की साधना करने का प्रयास करना चाहिए। तीसरी बात बताई गई कि क्रोध को असफल बनाने का प्रयास करो। अगर किसी के प्रति मन में गुस्सा आ भी जाए तो आदमी प्रयास करे कि वाणी अथवा हाथ आदि के इस्तेमाल न करे तो गुस्सा असफल हो सकता है। चौथी बात यह बताई गई कि प्रिय और अप्रिय को धारण करने का प्रयास करना चाहिए। अनुकूल और प्रतिकूल दोनों परिस्थितियों को आदमी को धारण करने का प्रयास करना चाहिए। ऐसी शिक्षाएं आदमी के जीवन की दशा और दिशा भी बदल सकती हैं। इसलिए आदमी को ऐसी शिक्षाओं को ग्रहण कर अपने जीवन का कल्याण करने का प्रयास करना चाहिए।
कल करोंदी में इन्दौर चतुर्मास सम्पन्न कर आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में पहुंचे मुनि कमलकुमारजी ने अपने आराध्य के प्रति अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति व्यक्त करते हुए अपने सहवर्ती मुनि नमीकुमारजी तथा मुनि अमनकुमारजी के साथ वंदना की तो आचार्यश्री खूब अच्छी साधना करने और खूब अच्छा विकास करते रहने की प्रेरणा प्रदान की। मुनि कमलकुमारजी के साथ इन्दौर से पहुंचे सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने पूज्यप्रवर के समक्ष उपस्थित होकर आचार्यश्री से अपने शहर में चतुर्मास करने की पुरजोर अर्जी लगाई। आचार्यश्री ने सभी को मंगल आशीर्वाद प्रदान किया।
अपने मंगल प्रवचन के कुछ समय पश्चात मानवता के मसीहा आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पुनः विहार प्रारम्भ किया। महातपस्वी आचार्यश्री राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 27 पर बने हैंगिंग ब्रिज जो चम्बल नदी के ऊपर निर्मित है, उसे पार कर राजमार्ग के सन्निकट नयागांव में स्थित कौटिल्य कॉलेज के प्रांगण में पधारे। जहां इस एजुकेशन ग्रुप से जुड़े पदाधिकारियों आदि ने आचार्यश्री का भव्य स्वागत किया। इस कॉलेज परिसर में आचार्यश्री का रात्रिकालीन प्रवास होगा। गुरुवार को प्रातः आचार्यश्री कोटा में प्रवेश करेंगे।