- महातपस्वी ने किया 18 कि.मी. का प्रलम्ब विहार
- धवल सेना संग अहिंसा यात्रा प्रणेता ने किया बूंदी जिले में प्रवेश
- डाबीवासियों के जगे भाग्य, गुरुमुख से स्वीकारी अहिंसा यात्रा की संकल्पत्रयी
- आचार्यश्री महाश्रमण हैं देवपुरुष: पूर्व वित्तमंत्री, राजस्थान सरकार
29.11.2021, सोमवार, डाबी, बूंदी (राजस्थान)। मानवता का शंखनाद करते हुए अपनी धवल सेना संग अहिंसा यात्रा लेकर गतिमान जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, मानवता के मसीहा, अखण्ड परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमणजी सोमवार को कामां से लगभग 18 किलोमीटर का प्रलम्ब विहार कर भीलवाड़ा जिले से बूंदी जिले की सीमा में मंगल प्रवेश किया। आचार्यश्री महाश्रमणजी के ज्योतिचरण का स्पर्श पाकर बूंदी जिला पावन हो उठा। आचार्यश्री अपनी अहिंसा यात्रा के साथ दोपहर लगभग बारह बजे डाबी गांव स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्रांगण में पधारे। डाबीवासियों ने आचार्यश्री का भव्य स्वागत किया।
प्रलम्ब यात्रा के बावजूद आचार्यश्री ने बिना विश्राम किए मंगल प्रवचन कार्यक्रम में पधारे और समुपस्थित डाबीवासियों को अपनी अमृतवाणी का रसपान कराते हुए कहा कि आदमी के जीवन में क्षेत्र और समय का बहुत महत्त्व होता है। किसी कार्य की पूर्णता के लिए क्षेत्र और समय का होना आवश्यक होता है। प्रत्येक आदमी को समय मुफ्त मिलता है। आदमी को यह सोचना चाहिए कि वह उस समय का क्या करता है। समय के संदर्भ में तीन शब्द बताए जाते हैं-सदुपयोग, दुरुपयोग और अनुपयोग। आदमी को अपने समय का सदुपयोग करने का प्रयास करना चाहिए। इसके लिए आदमी को अपने समय को अच्छे कार्यों में, धार्मिक, आध्यात्मिक कार्यों में, किसी की पवित्र सेवा में, उपकार में नियोजित करना समय का सदुपयोग होता है। किसी का बुरा करने और बुरे कार्यों में समय लगाना समय का दुरुपयोग होता है। बुद्धिमान लोग अपने समय का सदुपयोग करते हैं। समय मूल्यवान है। जो आदमी समय का सदुपयोग कर उसका लाभ नहीं उठाता, वह मूर्ख ही हो सकता है।
आचार्यश्री ने समय के साथ-साथ कर्त्तव्यपरायण होने की भी प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि समय के सदुपयोग के साथ आदमी को अपने कर्त्तव्य के प्रति सजग रहना चाहिए। राजा के तीन कर्त्तव्य बताए गए हैं-सज्जनों की रक्षा करना, असज्जनों पर शासन करना और अपनी प्रजा का भरण-पोषण करना। उसी प्रकार आदमी को अपने कर्त्तव्य के प्रति जागरूक रहना चाहिए और उसका सम्यक् अनुपालन करने का प्रयास करना चाहिए। राजनेता, प्रशासन से जुड़े लोग अथवा पद प्राप्त करने के बाद भी कोई अपने कर्त्तव्य का पालन नहीं करता है तो उसके जीवन को उस पद की प्राप्ति को निरर्थक बताया गया है। कर्त्तव्यपालन में नैतिकता रहे, शुद्धता और शुचिता रहे तो गरिमापूर्ण बात हो सकती है। इसलिए आदमी को अपने सदुपयोग करने और अपने कर्त्तव्यों के जागरूक रहने का प्रयास करना चाहिए।
आचार्यश्री ने मंगल प्रवचन के उपरान्त डाबीवासियों को अहिंसा यात्रा की अवगति प्रदान करते हुए इसके संकल्पों को स्वीकार करने का आह्वान किया तो अपने आराध्य के आगमन से हर्षित डाबीवासियों ने सहर्ष अहिंसा यात्रा के तीनों संकल्पों को स्वीकार किया। डाबी के श्री संजय पोखरणा, दिगम्बर जैन समाज के श्री फूलचंद जैन, श्री प्रिन्स पोखरणा, पूर्व विधायक श्री विवेक धाकड़ व श्वेताम्बर संघ सिंगोली के अध्यक्ष श्री प्रकाश नागोरी ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। सेजल-सीमा पोखरणा ने गीत का संगान किया। आचार्यश्री के दर्शनार्थ उपस्थित राजस्थान सरकार के पूर्व वित्तमंत्री व वर्तमान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष श्री हरिमोहन शर्मा ने अपने श्रद्धाभावों को व्यक्त करते हुए कहा कि आपश्री के दर्शन कर मैं धन्य हो गया। वर्तमान समय में आपके इन संकल्पों की बहुत आवश्यकता है। आप अपने प्रवचन से जन-जन को सन्मार्ग पर लाने का प्रयास कर रहे हैं, वह कोई देवपुरुष ही कर सकता है। इस कृपा के लिए हम सदैव आपके ऋणी रहेंगे।