- जोगणिया माता मन्दिर से लगभग 12 कि.मी. का विहार कर पहुंचे रसदपुरा गांव
- भव्य स्वागत जुलूस के साथ ग्रामीणों व जनप्रतिनिधियों ने किया स्वागत
- मानव जीवन का करें सदुपयोग: आचार्य महाश्रमण
27.11.2021, शनिवार, रसदपुरा (आरोली), भीलवाड़ा (राजस्थान)। राजस्थान व मध्यप्रदेश की सीमा तक फैले उपरमाल पठार वर्तमान में जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें देदीप्यमान महासूर्य, शान्तिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी के ज्योतिचरण से पावनता को प्राप्त हो रहा है। अपनी अहिंसा यात्रा के साथ गतिमान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने शनिवार को प्रातः की मंगल बेला में जोगणिया माता मन्दिर से मंगल प्रस्थान किया। अपनी धवल सेना का कुशल नेतृत्व करते हुए आचार्यश्री उपरमाल पठार के ऊपर गतिमान थे। दूर-दूर तक फैले इस पठारी भाग में आचार्यश्री सद्भावना, नैतिकता व नशामुक्ति रूपी मानवीय मूल्यों की गंगा को प्रवाहित कर रहे हैं। कुछ किलोमीटर के विहार के बाद एक बार पुनः भीलवाड़ा जिले की सीमा प्रारम्भ हो गई। रास्ते में कई गांवों के ग्रामीणों को अपने दर्शन और आशीर्वाद से लाभान्वित करते हुए आचार्यश्री रसदपुरा गांव के निकट पहुंचे तो माण्डालगढ़ क्षेत्र के वर्तमान विधायक श्री गोपाल खाण्डेलवाल, पूर्व विधायक श्री विवेक धाकड़, सरपंच ज्योति जैन, पूर्व प्रधान गोपाल मानवीय आदि जनप्रतिनिधियों संग सैंकड़ों की संख्या में उपस्थित ग्रामीणों ने आचार्यश्री का भव्य स्वागत किया। ढोल-नगाड़े व स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री रसदपुरा (आरोली) गांव स्थित राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्रांगण में पधारे।
विद्यालय प्रांगण में समुपस्थित जनमेदिनी को आचार्यश्री ने अपनी अमृतवाणी का रसपान कराते हुए कहा कि आत्मा का पुनर्जन्म होता है, यह एक आस्तिक सिद्धांत है। नास्तिक लोग आत्मा के पुनर्जन्म को नहीं मानते। जीवन में जन्म-मृत्यु का क्रम चलता रहता है। जिस प्रकार आदमी पुराने वस्त्रों को त्याग कर नए वस्त्र धारण कर लेता है, उसी प्रकार आत्मा पुराने शरीर का त्याग कर नया शरीर धारण कर लेती है। कषाय और अपने कर्मों के कारण जन्म-मृत्यु का क्रम चलता रहता है। आत्मवाद और कर्मवाद को मानें तो कोई ऐसा कार्य न करें जिससे आत्मा अधोगति की ओर जाए। आदमी को अच्छा कर्म करने का प्रयास करना चाहिए। कर्म के अनुसार फल की प्राप्ति होती है तो आदमी को कर्म पर ध्यान देकर शुभ कर्म करने का प्रयास करना चाहिए। किसी की हत्या, चोरी, झूठ, धोखाधड़ी आदि करने से बचने का प्रयास करना चाहिए। गुस्सा करना, किसी को गाली देना अच्छा नहीं, आदमी को शांति, मैत्री व प्रेम का भाव रखने का प्रयास करना चाहिए। सबके साथ अच्छा व्यवहार हो। आदमी सद्कार्य करते हुए धर्म की शरण में रहे तो मानव जीवन का अच्छा सदुपयोग हो सकता है और आत्मकल्याण की ओर गति भी हो सकती है।
आचार्यश्री ने अहिंसा यात्रा की अवगति प्रदान करते हुए लोगों से आह्वान किया तो समुपस्थित समस्त जनता ने अहिंसा यात्रा के तीनों संकल्पों को ग्रहण किया। तदुपरान्त आचार्यश्री के स्वागत में सुश्री नन्दनी जैन ने गीत का संगान किया। स्थानीय सरपंच श्रीमती ज्योति राजेश जैन, पूर्व प्रधान गोपाल मालवीय, विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री दीपक त्यागी, क्षेत्र के पूर्व विधायक श्री विवेक धाकड़, वर्तमान विधायक श्री गोपाल खाण्डेलवाल, श्री संजय बरड़िया, बिजौलिया से श्री सौभाग्य सिंह व श्री प्रदीप जैन ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी और आचार्यश्री से मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया। श्री सुमति गोठी ने अपने हृदयोद्गार व्यक्त किए तो आचार्यश्री ने उन्हें भी पावन आशीर्वाद व मंगल मार्गदर्शन प्रदान किया।