बूंदी:राजस्थान में बूंदी जिले के नीम का खेड़ा गांव में पुलिस की मौजूदगी के बावजूद एक दलित पिता की घोड़ी पर सवार होकर आए दूल्हों के संग उसकी दुल्हन के जोड़े में सजी बेटियों को ब्याहते देखने का सपना कुछ दबंगों की दबंगई के कारण साकार नहीं हो सका।
जानकारी के अनुसार नीम का खेड़ा गांव निवासी गणेश लाल मेघवाल की तीन बेटियों को ब्याहने के लिए भीलवाड़ा जिले के किशनों का झोपड़ा निवासी गोवर्धन, सरदार जी का खेडा का नंदलाल और बूंदी से सीताराम कल शाम गांव पहुंचे थे। बारातों की अगवानी के बाद जब तीनों दूल्हों को दोनों को घोडियों पर बिठाकर दुल्हनों के घर तोरण द्वार पर ले जाने की तैयारी हो रही थी, तभी कुछ दबंग इकट्टा हो गए और पुरानी रीति-रिवाज होने का हवाला देते हुए दलित दूल्हे को घोड़ी पर नहीं उठाने की बात कही जिससे तनाव उत्पन्न हो गया।
इस बारे में सूचना मिलने पर बूंदी से पुलिस भी मौके पर पहुंच गई और गांव की कुछ बुजुर्गों के साथ समझाईश की और अंत में देर रात्रि को दुल्हों को दुपहिया वाहनों से दुल्हनों के द्वार तक ले जाकर तोरण मारना तय हुआ और इसी के अनुरूप बिना घोड़ी दूल्हों की बिंदोरी निकाली और उन्होंने तोरण मारे गये। इस बारे में पुलिस का कहना है कि पुलिस के गांव में पहुंचने के बाद किसी ने दूल्हों को घोडी पर बिठाने की बात नही कही और न ही मौके पर कोई घोडी मिली।