नई दिल्ली:चीन और पाकिस्तान से बढ़ते खतरे को देखते हुए भारत अपनी सीमाओं की सुरक्षा को मजबूत करने पर जोर दे रहा है। इस दिशा में जहां भारत ने रूस से S-400 की खरीदारी की है, जिसकी आपूर्ति भारत को शुरू कर दी गई है। वहीं अब भारत सरकार ने अमेरिका से एमक्यू-1 प्रीडेटर-बी ड्रोन की 30 यूनिट को खरीदने की हरी झंडी दे दी है। इसकी कीमत करीब 3 अरब अमेरिकी डालर (करीब 22,000 करोड़ रुपये) होगी। दिसंबर महीने में भारत व अमेरिका के बीच होने वाले 2+2 मंत्रीस्तरीय वार्ता से पहले जनरल एटामिक्स से प्रीडेटर-बी ड्रोन को खरीदने का आर्डर दिया जा सकता है। भारत सरकार इस सौदे से जुड़ी सभी औपचारिकताओं को 2021 में ही पूरा करना चाहती है, ताकि जल्द से जल्द इसे खरीदा जाए। इन 30 ड्रोन में से भारतीय थलसेना, वायु सेना और नौसेना को 10-10 ड्रोन देने की योजना है। भारतीय सेना पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ तनाव और जम्मू एयरबेस पर ड्रोन हमले के बाद प्रीडेटर-बी ड्रोन की खरीद पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
जून महीने में जम्मू वायुसेना स्टेशन पर हमले को अंजाम देने के लिए विस्फोटकों से लदे ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था। भारत में महत्वपूर्ण सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला करने के लिए पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों की मानव रहित हवाई वाहनों के इस्तेमाल की पहली ऐसी घटना थी। 2019 में अमेरिका ने भारत को सशस्त्र ड्रोन की बिक्री को मंजूरी दी थी। यहां तक कि एकीकृत वायु और मिसाइल रक्षा प्रणालियों की भी पेशकश की थी।
घातक मिसाइलों से लैस ये ड्रोन लंबे समय तक हवा में निगरानी कर सकते हैं। इतना ही नहीं, जरूरत पड़ने पर इसमें लगी मिसाइलें दुश्मनों के जहाजों या ठिकानों को निशाना भी बना सकती हैं। इस ड्रोन को प्रीडेटर सी एवेंजर या आरक्यू-1 के नाम से भी जाना जाता है। चीन के विंग लांग ड्रोन-2 के हमला करने की ताकत को देखते हुए नौसेना को ऐसे खतरनाक ड्रोन की जरूरत महसूस हो रही है। यह ड्रोन मिलने के बाद पाक और चीन के मुकाबले भारतीय सेना काफी मजबूत हो जाएगी।
इस ड्रोन की कई खासियतें हैं, जो दुनिया के अन्य ड्रोन से अलग करती हैं। यह ड्रोन 204 किलोग्राम की मिसाइलों को लेकर उड़ान भर सकता है। 25 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर उड़ने के कारण दुश्मन इस ड्रोन को आसानी से पकड़ नहीं पाते। इस ड्रोन में दो लेजर गाइडेड एजीएम-114 हेलफायर मिसाइलें लगाई जा सकती हैं। इसे आपरेट करने के लिए दो लोगों की जरूरत होती है, जिसमें से एक पायलट और दूसरा सेंसर आपरेट है। वर्तमान में अमेरिका के पास यह 150 ड्रोन उपलब्ध हैं।
इस ड्रोन को अमेरिकी कंपनी जनरल एटामिक्स एयरोनाटिकल सिस्टम ने बनाया है। इस ड्रोन में 115 हार्सपावर की ताकत प्रदान करने वाला टर्बोफैन इंजन लगा हुआ है। 8.22 मीटर लंबे और 2.1 मीटर ऊंचे इस ड्रोन के पंखों की चौड़ाई 16.8 मीटर है। 100 गैलन तक की तेल की क्षमता होने के कारण इस ड्रोन का फ्लाइट इंड्यूरेंस भी काफी ज्यादा है।
नया प्रीडेटर अपने बेस से उड़ान भरने के बाद 1800 मील (करीब 2,900 किलोमीटर) उड़ भर सकता है। इसके मायने यह हैं कि अगर उसे मध्य भारत के किसी एयरबेस से आपरेट किया जाए तो वह जम्मू-कश्मीर में चीन और पाकिस्तान की सीमा तक नजर रख सकता है। यह ड्रोन 50 हजार फीट की ऊंचाई पर 35 घंटे तक उड़ान भरने में सक्षम है। इसके अलावा यह ड्रोन 6500 पाउंड का पेलोड लेकर उड़ सकता है।
प्रीडेटर सी एवेंजर में टर्बोफैन इंजन और स्टील्थ एयरक्राफ्ट के तमाम फीचर हैं। ये अपने लक्ष्य पर सटीक निशाना लगाने के जाना जाता है। भारतीय सेना वर्तमान में अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए इजराइल से खरीदे गए ड्रोन्स का इस्तेमाल कर रही है, लेकिन अमेरिका के प्रीडेटर ड्रोन फाइटर जेट की रफ्तार से उड़ते हैं। अमेरिका से इन ड्रोन्स के मिलने के बाद भारत न सिर्फ पाकिस्तान बल्कि चीन पर भी नजर रख सकेगा। सर्विलांस सिस्टम के मामले में भारत इन दोनों पड़ोसी देशों से काफी आगे निकल जाएगा।