- आचार्यश्री ने श्रावकत्व को बनाए रखने की दी प्रेरणा
- तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम का 14वां राष्ट्रीय सम्मेलन समायोजित
12.11.2021, शुक्रवार, आदित्य विहार, तेरापंथ नगर, भीलवाड़ा (राजस्थान)। भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा के प्रणेता, शान्तिदूत, तेरापंथ अधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी वस्त्रनगरी भीलवाड़ा की धरती पर ऐतिहासिक चतुर्मास कर रहे हैं। यह ऐतिहासिक चतुर्मास अब सम्पन्नता की ओर है। वस्त्रनगरी नगरी इन चार महीनों से मानों धर्मनगरी के रूप में परिवर्तित हो गई है। यहां की हवा में अब शांति, सौहार्द, सद्भावना, नैतिकता आदि के स्वर सुनाई दे रहे हैं। महामानव आचार्यश्री महाश्रमणजी के अमृतवाणी का नियमित श्रवण कर यहां का जन-जन आह्लादित हो रहा है।
शुक्रवार को चतुर्मास प्रवास स्थल में बने भव्य ‘महाश्रमण समवसरण’ में उपस्थित श्रद्धालुओं तथा वर्चुअल रूप से जुड़े सैंकड़ों श्रद्धालुओं को आचार्यश्री की मंगलवाणी से पूर्व साध्वीवर्या साध्वी सम्बुद्धयशाजी ने उत्प्रेरित किया। तत्पश्चात आचार्यश्री ने ‘सूयगडो’ आगम के माध्यम से पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि जीवन प्राप्त हुआ है तो एक दिन मृत्यु भी प्राप्त होगी, यह निश्चित है। आदमी को अपने जीवनकाल में कई बार एक स्थिति से दूसरी स्थिति में जाना होता है। जैसे कोई राजा है तो वह कभी अपने पद से च्यूत भी हो सकता है। कोई मंत्री आदि बनने के बाद मंत्री पद से च्यूत भी होना पड़ सकता है। जैन दर्शन के अनुसार कई सिद्धांत प्राप्त होते हैं। आदमी को कर्मवाद को जानने व समझने का प्रयास करना चाहिए। आदमी अपने कर्मों के कारण कभी उन्नति तो कभी अवनति की प्राप्त होता है। कर्मवाद मानों लिफ्ट की तरह कार्य करता है। कभी किसी को ऊपर तो कभी किसी को नीचे पहुंचा देता है। आदमी को अपने देव, गुरु और धर्म के प्रति सदैव श्रद्धावान रहने का प्रयास करना चाहिए। मानव भले किसी पद पर आसीन हो अथवा पद से च्यूत हो परन्तु मानवता से च्यूत न हो। श्रावक है तो उसमें श्रावकत्व हमेशा बना रहे, ऐसा प्रयास करना चाहिए।
आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के पश्चात् नवी मुम्बई से पूज्य सन्निधि में उपस्थित राजनेता संजीव गणेश नाईक ने अपने हृदयोद्गार व्यक्त किए तो आचार्यश्री ने उन्हें मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। प्रोफेसर धर्मचन्द जैन ने श्रीचरणों में अपनी कृति लोकार्पित की तथा आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी तो आचार्यश्री ने उन्हें मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। श्री हिमांशु झाबक ने गीत का संगान किया। इसके उपरान्त तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम का 14वां राष्ट्रीय सम्मेलन का कार्यक्रम आयोजित हुआ। मुनिश्री रजनीशकुमार, टीपीएफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री नवीन पारख व टीपीएफ के मुख्य ट्रस्टी श्री एम.सी. बरलोटा ने कार्यक्रम के संदर्भ में भावाभिव्यक्ति दी। तदुपरान्त वर्ष 2020 का टीपीएफ गौरव पुरस्कार श्री सम्पतमल नाहटा को प्रदान किया। जिसका प्रशस्ति पत्र वाचन टीपीएफ के निवर्तमान अध्यक्ष श्री निर्मल कोटेचा ने किया।
पुरस्कार प्राप्तकर्ता श्री सम्पतमल नाहटा ने भी श्रीचरणों में अपनी प्रणति अर्पित की। आचार्यश्री ने पावन आशीर्वाद प्रदान करते हुए कहा कि टीपीएफ एक बौद्धिक संस्था है। संस्था के लोगों में बौद्धिकता के साथ आध्यात्मिकता और विज्ञान भी जुड़ जाए तो संस्था और आगे बढ़ सकती है। अच्छे कार्य के लिए प्रगति कर सकती है।