आज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को देश के कई हिस्सों में छठ पर्व मनाया जा रहा है। चार दिवसीय इस पर्व की शुरुआत 8 नवंबर से हुई थी, जो कि 11 नवंबर को संपन्न होगा। आज 10 नवंबर को शाम के समय ढलते सूरज को अर्घ्य दिया जाएगा और 11 नवंबर की सुबह उगते सूरज को अर्घ्य के साथ छठ पर्व का समापन होगा। इस दिन सूर्य देव के साथ छठ मइया की पूजा की जाती है और अर्घ्य दिया जाता है।
छठ का व्रत संतान प्राप्ति और उसकी खुशहाली के लिए रखा जाता है। मान्यता है कि छठ व्रत रखने से छठी मइया मनोकामना पूरी करती हैं। इस व्रत में सूर्य देवता की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। 36 घंटे का निर्जला व्रत रखने के बाद उगते सूरज को अर्घ्य देने के बाद सूर्य भगवान की पूजा की जाती है।
अर्घ्य देते समय पढ़ें सूर्य मंत्र:-
ऊँ ऐही सूर्यदेव सहस्त्रांशो तेजो राशि जगत्पते।
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणार्ध्य दिवाकर:।।
ऊँ सूर्याय नम:, ऊँ आदित्याय नम:, ऊँ नमो भास्कराय नम:। अर्घ्य समर्पयामि।।
सूर्यदेव मंत्र:-
आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीदमम् भास्कर।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते।।
छठ मइया की आरती:-
जय छठी मैया ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।। जय।।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदिति होई ना सहाय।
ऊ जे नारियर जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए।। जय।।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।। जय।।
अमरुदवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडरराए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।।जय।।
ऊ जे सुहनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
शरीफवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए।। जय।।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।।जय।।
ऊ जे सेववा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।।जय।।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
सभे फलवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए।।जय।।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।।जय।।