बर्मिंघम:नोबल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने मंगलवार को असर मलिक के साथ निकाह (Marriage) कर लिया। इस मौके पर दोनों के परिजन मौजूद रहे। इस बात की जानकारी स्वयं मलाला ने दी। उन्होंने इस मौके की कुछ तस्वीरें अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर शेयर भी किया है और लोगों से दुआ करने का निवेदन किया। मलाला ने ट्वीट कर कहा, ‘आज का दिन मेरे जीवन का एक अनमोल दिन है। असर और मैं जीवन साथी बनने के लिए शादी के बंधन में बंध गए हैं। हमने अपने स्वजन के साथ बर्मिघम में घर पर एक छोटा निकाह समारोह आयोजित किया। कृपया हमें अपनी प्रार्थना भेजें। आगे की यात्रा में हम एक साथ चलने लिए उत्साहित हैं।’
मलाला के जीवनसाथी असर मलिक पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) में जनरल मैनेजर हैं। मई 2020 में उन्होंने यहां ज्वाइन किया है। इससे पहले वे पाकिस्तान सुपर लीग के लिए काम करते थे। मलिक ने एक प्लेयर मैनेजमेंट एजेंसी का संचालन भी किया है। मलिक ने लाहौर यूनिवर्सिटी आफ मैनेजमेंट साइंसेज से 2012 में इकोनामिक्स और पालिटिकल साइंस में बैचलर्स डिग्री ली है।
मलाला ने बर्मिघम स्थित अपने घर में सादे समारोह में शादी करने की पुष्टि की है। पाकिस्तान के स्वात घाटी में लड़कियों की शिक्षा का समर्थन करने वाली मलाला को 2012 में तालिबान ने स्कूल से लौटते समय गोली मार दी थी। तब मलाला की उम्र महज 15 साल की थी। ब्रिटेन में मलाला का इलाज चला, जिसके बाद बहुत मुश्किल से उनकी जान बची थी। उसके बाद आक्सफोर्ड से मलाला ने अपनी शिक्षा पूरी की। बच्चों के अधिकारियों के लिए काम करने वाले भारत के कैलाश सत्यार्थी के साथ मलाला को 2014 में संयुक्त रूप से नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, तब उनकी उम्र मात्र 17 वर्ष थी। यह पुरस्कार प्राप्त करने वाली वह सबसे कम उम्र की विजेता रहीं।
2013 में मलाला को यूरोपीय यूनियन का प्रतिष्ठित शैखरोव मानवाधिकार पुरस्कार भी मिला। इसके अलावा भी उन्हें कई अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। 12 जुलाई, 1997 को पाकिस्तान, उत्तर-पश्चिमी खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के स्वात जिले में निम्न-मध्यम वर्गीय परिवार में मलाला युसुफजई का जन्म हुआ था। उनके जन्म के समय परिवार के पास अस्पताल जाने के लिए भी पर्याप्त पैसा नहीं था और पड़ोसियों की मदद से यूसुफजई ने घर पर जन्म लिया। मात्र 11 साल की उम्र में गुल मकई के नाम से उन्होंने डायरी लिखना शुरू किया था। दरअसल इसका मकसद स्वात इलाके में रह रही बच्चियों की स्थिति को सामने लाना था लेकिन तब वहां तालिबान का खतरा बहुत ज्यादा था।
16 साल की उम्र में मलाला ने संयुक्त राष्ट्र में लड़कियों की शिक्षा पर भाषण दिया था। इसके लिए संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में मौजूद हर सदस्य ने तालियां बजाकर उनकी सराहना की थी। इसके बाद ही संयुक्त राष्ट्र ने मलाला यूसुफजई के जन्मदिवस 12 जुलाई को ‘मलाला डे’ घोषित कर दिया।