नई दिल्ली:नापाक पड़ोसी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के दावों के विपरीत देश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है। यूरोपीयन अजाइलम सपोर्ट आफिस (ईएएसओ) का कहना है कि हिंदू, सिख, ईसाई, अहमदिया व शिया मुसलमानों की हत्या, ईश निंदा व जबरन मतांतरण के मामलों तथा नफरत फैलाने वाले भाषणों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
ईएएसओ की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि कट्टरपंथी संगठन देश के अल्पसंख्यकों को निशाना बना रहे हैं। यह अक्टूबर 2020 में ईएएसओ सीओआइ ‘पाकिस्तान-सुरक्षा स्थिति’ शीर्षक रिपोर्ट का अपडेट वर्जन है। इसमें कहा गया है कि वर्ष 2020 व वर्ष 2021 के पहले सात महीनों के दौरान तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान, अल कायदा, इस्लामिक स्टेट-खुरासान व हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकी संगठन पाकिस्तान में मौजूद रहे और आतंकी वारदातों को अंजाम देते रहे। इन आतंकी संगठनों ने अल्पसंख्यकों को लक्ष्य करके आइईडी धमाकों, आत्मघाती हमलों, अपहरण, ग्रेनेड व राकेट हमलों तथा तोड़फोड़ जैसी वारदातों को अंजाम दिया। रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020 व वर्ष 2021 की पहली छमाही के दौरान पाकिस्तान में हुई हिंसा में 344 लोग मारे गए।
समा टीवी की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019 में 26,500 पाकिस्तानियों ने आश्रय के लिए आवेदन किया, जबकि जनवरी से सितंबर 2020 के बीच ऐसा करने वालों की संख्या करीब 12 हजार रही। कोविड-19 महामारी के कारण वर्ष 2019 के मुकाबले जनवरी से सितंबर 2020 में आश्रय के लिए आवेदन करने वालों की संख्या में 37 फीसद की गिरावट आई। पाकिस्तानियों को मान्यता की दर भी अपेक्षाकृत कम है। वर्ष 2019 में मान्यता की दर 10 फीसद थी, जबकि जनवरी से सितंबर 2020 के बीच इसकी दर आठ प्रतिशत रही।
वहीं, दूसरी ओर आर्थिक तंगी से बदहाल पाकिस्तान वर्ल्ड जस्टिस प्रोजेक्ट के रूल आफ ला इंडेक्स 2021 की रैंकिंग में 139 देशों में 130 वें स्थान पर है। इससे पता चलता है कि आतंकियों के आका देश में कानून के शासन की क्या स्थिति है।