नई दिल्ली: भारत और फ्रांस मिलकर बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था को मजबूत करने के लिए कार्य करते रहेंगे। इस सिलसिले में फ्रांस के विदेश मंत्री जीन-वेस ली ड्रायन ने शनिवार को भारतीय समकक्ष एस जयशंकर को फोन कर उनसे वार्ता की। इस वार्ता के बाद फ्रांस के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा, दोनों संप्रभु देश अपनी रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने पर सहमत हैं। यह साझेदारी राजनीतिक विश्वास पर आधारित होगी। आस्ट्रेलिया को परमाणु पनडुब्बी की तकनीक दिए जाने के अमेरिका के समझौते से पैदा विवाद के बीच फ्रांसीसी विदेश मंत्री की जयशंकर से वार्ता महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
जयशंकर ने ट्वीट कर कहा, मित्र ली ड्रायन के साथ हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र और अफगानिस्तान मसले पर महत्वपूर्ण वार्ता हुई। दोनों देशों ने अपने संबंधों को और आगे बढ़ाने का फैसला किया है। फ्रांसीसी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि दोनों विदेश मंत्रियों के बीच अफगानिस्तान के विषय में भी वार्ता हुई। वहां की स्थिति निरंतर गिरावट की ओर है। दोनों नेताओं ने अगले सप्ताह न्यूयार्क में मुलाकात का भी फैसला किया। वहां पर दोनों नेता संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाग लेने के लिए जाएंगे। वहां पर भविष्य के लिए संयुक्त रूप से आगे बढ़ने का प्रभावी कार्यक्रम तय किया जाएगा।
अमेरिका, ब्रिटेन और आस्ट्रेलिया के बने नए सैन्य गठबंधन में परमाणु चालित पनडुब्बी का सौदा होने से नाराज फ्रांस ने अमेरिका और आस्ट्रेलिया से अपने राजदूतों को बातचीत के लिए बुलाया है। इस पनडुब्बी सौदे से फ्रांस के साथ हुआ आस्ट्रेलिया के पनडुब्बी खरीदने का समझौता टूट गया है। फ्रांस के विदेश मंत्री जीन यवेस ले ड्रियान ने लिखित बयान में कहा है कि अमेरिका और आस्ट्रेलिया की घोषणा बहुत ही गंभीर और असाधारण है। इसीलिए फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के कहने पर यह कदम उठाया गया है। उन्होंने कहा है कि सौदे को रद करना सहयोगी और पार्टनरों के बीच अस्वीकार्य व्यवहार है।