- पूज्य प्रवर ने दी तात्कालिक प्रतिक्रिया से बचने की प्रेरणा
20 अगस्त 2021, शुक्रवार, आदित्य विहार, तेरापंथ नगर, भीलवाड़ा, राजस्थान। शांतिदूत परम पूज्य आचार्य श्री।महाश्रमण जी सानन्द वस्त्रनगरी भीलवाड़ा में चातुर्मास करा रहे है। आचार्यश्री की अमृतमय देशना से श्रावक समाज ज्ञान चेतना के विकास की दिशा में सतत आगे बढ़ रहा है। चातुर्मास के इन दुर्लभ क्षणों का हर व्यक्ति आध्यात्मिक लाभ ले रहा है। श्रावक समाज में तपस्या का क्रम निरंतर गतिमान है। आचार्य महाश्रमण ने वर्चुअल धर्म देशना में बताया कि इंद्रियों की दृष्टि से श्रवण शक्ति जिसके पास है वह उच्चस्तरीय विकसित प्राणी है। श्रोत का विषय है शब्द। अगर श्रोत है, शब्द भी है और सुनने की प्रवृति भी है तो शब्द विहित होकर ज्ञान देने वाला बन सकता है। दुनिया में शब्द का बड़ा महत्व होता है। श्रोता एवं वक्ता के बीच शब्द सेतु का काम करते है। अगर वक्ता के बोलने का तरीका और शब्द संयोजन उपयुक्त होता है तो वह हजारों व्यक्तियों को प्रभावित कर सकता है। पुण्यता और शुभ कर्म नाम योग का उदय होने से कोई व्यक्ति भले विद्वान न भी हो फिर भी उसे लोग श्रद्धा से सुनते है।
शब्दों के दस प्रकारों का वर्णन करते हुए आचार्यवर ने आगे फरमाया कि व्यक्ति बात करता है तो बात की भाषा मिष्ट, शिष्ट होनी चाहिए जिससे वह विशिष्ट बन जाती है। बोलना या ना बोलना बड़ी बात नहीं है, विवेक युक्त बोलना महत्वपूर्ण बात होती है। जहां उपयोगिता हो वहा बोलना उचित है अन्यथा मौन रह जाना चाहिए। व्यक्ति को कैसे, कब, क्यों, कहा बोलना इसका विवेक हो तो फिर बोलने की सार्थकता होती है। कोई प्रयोजन नहीं तो मौन भी अच्छा है। बोलना और मौन रहने में भी सबसे अच्छा है अनावश्यक न बोलना, बिना सोचे समझे आधार रहित, तात्कालिक प्रतिक्रिया करने से व्यक्ति को बचना चाहिए। वाणी में ऐसे शब्दों का प्रयोग हो जो दूसरों को प्रसन्नता और चित्त समाधि प्रदान करने वाले बने। मृदु, विनम्र भाषा दूसरों के हृदय में भी प्रसन्नता भर सकती है।
इस अवसर पर साध्वी श्री संवरयशा जी ने पूज्यगुरूदेव से मासखमण (30 दिन) की तपस्या का प्रत्याख्यान किया। तपस्या के क्रम में अहमदबाद प्रवासी श्री छीतरमल मेहता ने 33 दिन, श्रीमती स्वीटी चोरड़िया ने 8 दिन की तपस्या का गुरूदेव से प्रत्याख्यान किया।
कार्यक्रम में आर एस वरिष्ठ प्रचारक श्री राजेंद्र जी, भीलवाड़ा सांसद श्री सुभाष बहेडिया,पूर्व चेयरमैन मांडलगढ़ श्री राजकुमार आंचलिया ने वक्तव्य दिया।
श्री रमेश हिरण, श्री विजय रांका, श्री सुरेश सिंघवी, श्री संतोष सिंघी, श्रीमती रचना हिरण ने भी भावाभिव्यक्ति दी।