नई दिल्ली: राफेल लड़ाकू विमान खरीद सौदे पर राजनैतिक माहौल गर्म है। कांग्रेस सौदे में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए सरकार के खिलाफ सड़क पर है जबकि सरकार इसे वायुसेना की क्षमता बढ़ाने वाला राष्ट्रहित में किया गया सौदा बता रही है। मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है जिस पर 31 अक्टूबर को सुनवाई होनी है और यह सुनवाई राफेल पर चल रही राजनीति की दिशा तय कर सकती है।
कोर्ट ने सरकार से राफेल सौदा करने के फैसले की निर्णय प्रक्रिया मांगी थी और कोर्ट के निर्देशानुसार सरकार सील बंद लिफाफे में सौदे की निर्णय प्रक्रिया कोर्ट को सौंप चुकी है। 31 अक्टूबर को यह पता चलेगा कि सरकार द्वारा बताई गई प्रक्रिया से कोर्ट कितना संतुष्ट है।
यूं तो कोर्ट ने पहली सुनवाई मे ही विपक्ष के एक बड़े मुद्दे पर यह कहते हुए पानी फेर दिया था कि कोर्ट को राफेल की कीमत और उसकी गुणवत्ता से कोई लेना देना नहीं। लेकिन देखना होगा कि 31 अक्टूबर को कोर्ट का क्या रुख रहता है। अगर कोर्ट को सौदे की निर्णय प्रक्रिया में कोई खामी नजर आती है तो इसे लेकर लेकर विपक्ष का हमला और तेज हो सकता है। हालांकि कांग्रेस पहले ही साफ कर चुकी है कि वह राफेल मुद्दे पर कोर्ट में नहीं लड़ेगी बल्कि राजनैतिक लड़ाई लड़ेगी।
सुप्रीम कोर्ट में दो वकीलों एमएल शर्मा और विनीत ढांडा की जनहित याचिकाएं लंबित हैं। अभी तक कोर्ट ने इन याचिकाओं पर सरकार को औपचारिक नोटिस जारी नहीं किया है। गत 10 अक्टूबर को मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने सरकार से राफेल के 36 जेट फाइटर्स खरीदने की निर्णय प्रक्रिया सील बंद लिफाफे में देने का आदेश देते समय ही साफ कर दिया था कि निर्णय प्रक्रिया में वह विमान की कीमत या तकनीकी गुणवत्ता और भारतीय वायु सेना के लिए उसकी उपयोगिता के पहलू की जानकारी नहीं मांग रहा है।
कोर्ट ने यह भी कहा था कि सरकार से ब्योरा याचिकाओं के आधार पर नहीं मांगा जा रहा है। बल्कि कोर्ट मामले को लेकर अपनी संतुष्टि के लिए ब्योरा मांग रहा है। यानि उस दिन के आदेश से ही यह बात साफ हो गई थी कि कोर्ट को विमान की कीमत या तकनीकी क्षमता के पहलू से कोई लेना देना नहीं है। वह सिर्फ सौदे के फैसले पर पहुंचने की निर्णय प्रक्रिया देखकर संतुष्ट होना चाहता है।
सरकार ने फ्रांस के साथ 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने का सौदा किया है। विपक्ष मुख्य तौर पर कांग्रेस सौदे पर सवाल उठा रही है, लेकिन सरकार ने किसी भी तरह की गड़बड़ी से इन्कार करते हुए सौदे को राष्ट्रहित में किया गया बताया है।
सरकार का कहना है कि कांग्रेस और विपक्ष इसे बेवजह मुद्दा बना रहे हैं। इस बीच पूर्व भाजपा नेता यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और प्रशांत भूषण ने भी एक नयी याचिका दाखिल की है। जिसमे सीबीआइ को राफेल सौदे पर एफआइआर दर्ज कर जांच करने का निर्देश मांगा गया है। हालांकि इस पर अभी सुनवाई की कोई तिथि तय नहीं है।
अदालती आदेश के बाद ही राफेल की राजनीतिक दिशा तय होगी, 31 को होगी सुनवाई
Leave a comment
Leave a comment