सैनफ्रांसिस्को:अमेरिका में दिनों दक्षिण एशियाई मूल के लोगों के प्रति हिंसा चरम पर है। हाल ही में सैनफ्रांसिस्को में दो महिलाओं पर हमला हुआ। इनमें से एक महिला की उम्र तो 84 साल की है। घटना को 54 साल के हमलावर ने दिनदहाड़े अंजाम दिया। एक साल से दक्षिण एशियाई मूल के लोगों पर हमलों में दिनों-दिन बढ़ोतरी हो रही है। इन बढ़ते हमलों के कारण लिटिल टोक्यो के एक बौद्ध मंदिर में 49 बौद्ध पुजारियों ने शांति सभा का आयोजन किया।
इस जगह पर भी कुछ दिन पहले तोड़फोड़ की गई थी। इस शांति सभा में दुनियाभर के 350 से अधिक बौद्ध मठ-मंदिर ऑनलाइन शामिल हुए। इस दौरान अटलांटा में मारी गईं महिलाओं, इंडियापोलिस में मारे गए सिखों और अश्वेत जॉर्ज फ्लाॉइड की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना हुई। इस शांति सभा का मकसद था- अमेरिका में नस्लभेद खत्म हो। अमेरिका में रहने वाले दो-तिहाई बौद्ध एशियाई मूल के हैं।
दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के धर्म विश्वविद्यालय के अध्यक्ष डॉ. विलियम्स ने इस शांति सभा को आयोजित कराया था। उनके अनुसार इस सभा की खास बात थी इसमें अपनाया गया पूजा का तरीका।
डॉ. विलियम्स ने समझाया कि पूजा में एक टूटा हुआ सिरेमिक कमल का फूल लिया गया। टूटे हुए हिस्सों को सोने की तार से भरा गया (यह एक जापानी आर्ट है जिसे कट्सनी कहते हैं)। फूल पर मौजूद सोने की रेखाएं इसके टूटे हुए इतिहास को तो बताती हैं लेकिन इसे सुंदर भी दिखाती हैं। इसी तरह अमेरिका में भी कई तरह की दरारें हैं, जिन्हें हमें तमाम मतभेदों के बावजूद भरना है। क्योंकि, सबको साथ लिए बिना नहीं चला जा सकता।