राजकुमार गौतम/बस्ती। ग्राम पंचायतों में धांधली व गबन अब आम बात हो गई है परंतु गबन का पर्दाफाश होने के बावजूद अगर कार्रवाई न हो औरक मामला उच्च अधिकारियों के संज्ञान में हो तो प्रशासन के ऊपर संदेह अकारण ही जाता है। अब यह प्रशासन की लापरवाही कही जाए या फिर भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए अपनाया गया हथकंडा।
आपको बताते चलें कि गौर ब्लाक के ग्राम पंचायत करमा सुजिया में 28 दिसंबर 2020 को स्वच्छ भारत मिशन के जिला सलाहकार राजाशेर सिंह ने दौरा किया। मुख्यतः दौरा करने का कारण पूर्व प्रधान की लिखित शिकायत थी। भ्रमण के दौरान ग्राम पंचायत सचिव राम प्रकाश सिंह व प्रधान नूरजहां के अतिरिक्त अन्य लोग भी मौजूद रहे। जांच में बड़ी संख्या में बेस लाइन, एलओवी एवं एनओएलबी के शौचालय अर्धनिर्मित व कईयों को प्रोत्साहन राशि तक नहीं मिली। यही नहीं, ऐसा पूर्वत 2007 में भी 121 लाभार्थियों को कागज में प्रोत्साहन राशि तो मिल गई थी, परंतु उन पैसों का कुछ पता नहीं। मामला यहीं नहीं रुकता बेस लाइन सर्वेक्षण के लक्ष्य 254 के सापेक्ष 30.48 लाख तथा एनओएलबी के लक्ष्य 26 के सापेक्ष ब्याज की कटौती के बाद 2.76 लाख दिए गए। इस प्रकार कुल 33.24 लाख रुपए ग्राम पंचायत को प्राप्त हुए। ग्राम निधि बैंक खाता के अनुसार खाते में 23 दिसंबर 2020 को मात्र 27684 रुपए ही शेष बचे।
मामले की गंभीरता को देखते हुए राजाशेर सिंह ने इस गबन की सूचना व जांच आख्या डीपीआरओ को दे दी। दिसंबर में जांच होने के बाद भी अभी तक प्रशासन ने चुप्पी साधी हुई है। आखिर जनता व सरकार के धनो का गबन कब तक होता रहेगा? क्या प्रशासन की संवेदना बची है या फिर इस गबन को अधिकारीगण अनदेखा जानबूझकर कर रहे हैं?
ग्राम पंचायत में लाखों की धांधली, शिकायत व सबूत देने के बावजूद भी प्रशासन मौन!
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