नई दिल्ली:टीम इंडिया के पूर्व कप्तान और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के मौजूदा अध्यक्ष सौरव गांगुली अपना 48वां जन्मदिन मना रहे हैं। गांगुली का जन्म 8 जुलाई 1972 को कोलकाता में हुआ था। गांगुली ने 1992 में इंटरनैशनल क्रिकेट में डेब्यू किया था। 113 टेस्ट और 311 वनडे इंटरनैशनल मैच खेलने वाले गांगुली ने दोनों फॉर्मैट में क्रम से 7212 और 11363 रन बनाए हैं। उनके खाते में 16 टेस्ट और 22 वनडे इंटरनैशनल सेंचुरी दर्ज हैं। भारत के सबसे सफल कप्तानों में शुमार रहे गांगुली ने अपने करियर के दौरान कुछ ऐसे बड़े फैसले लिए, जिन्होंने भारतीय क्रिकेट को हमेशा के लिए बदल कर रख दिया। उनकी कप्तानी में भारत ने 2001 में ऑस्ट्रेलिया को टेस्ट सीरीज में हराया, 2002 नेटवेस्ट ट्रॉफी के फाइनल में लॉर्ड्स के मैदान पर इंग्लैंड को हराया, 2003 वर्ल्ड कप से फाइनल में पहुंचा और 2004 में इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज ड्रॉ कराई। इसके अलावा 2005 में गांगुली की ही कप्तानी में भारत ने पाकिस्तान को उसी की धरती पर टेस्ट सीरीज में हराया।
चलिए एक नजर डालते हैं गांगुली के उन फैसलों पर, जिन्होंने बदला भारतीय क्रिकेट का चेहरा-
कोलकाता टेस्ट में लक्ष्मण को नंबर तीन पर भेजना
2001 कोलकाता टेस्ट हमेशा भारतीय क्रिकेट के सबसे अहम टेस्ट मैचों में गिना जाएगा। इस मैच में भारत ने फॉलोऑन झेलने के बाद ऑस्ट्रेलिया को हराया था। पहली पारी में वीवीएस लक्ष्मण इकलौते ऐसे बल्लेबाज थे, जो ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों के खिलाफ सहज होकर खेल रहे थे। दूसरी पारी में गांगुली ने उन्हें बैटिंग ऑर्डर में तीसरे नंबर पर खेलने के लिए भेजा। गांगुली का यह फैसला ऐतिहासिक साबित हुआ। लक्ष्मण ने 281 रनों की यादगार पारी खेली और भारत ने कोलकाता टेस्ट मैच अपने नाम किया। इस तरह से ऑस्ट्रेलिया के लगातार 16 मैच जीत के क्रम को भारत ने ही तोड़ा था।
सहवाग से पारी का आगाज कराना
वीरेंद्र सहवाग मिडिल ऑर्डर में बल्लेबाजी करते थे। दक्षिण अफ्रीका में जब उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू किया था, तब भी वो मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज के तौर पर ही उतरे थे। सहवाग ने नंबर-6 पर बल्लेबाजी करते हुए सेंचुरी ठोकी थी। गांगुली ने सहवाग में वो प्रतिभा देखी, जो और किसी ने नहीं देखी। उन्होंने सहवाग से पारी का आगाज करने के लिए कहा और यह फैसला भारतीय क्रिकेट के लिए काफी कारगर भी साबित हुआ। सहवाग के नाम टेस्ट क्रिकेट में पारी का आगाज करते हुए दो ट्रिपल सेंचुरी दर्ज हैं।
द्रविड़ को विकेटकीपिंग के लिए मनाना
सौरव गांगुली की कप्तानी में टीम इंडिया को विकेटकीपर बल्लेबाज की कमी काफी खल रही थी। परमानेंट विकेटकीपर बल्लेबाज नहीं मिलने पर गांगुली ने राहुल द्रविड़ को इसके लिए मनाया था। द्रविड़ के विकेटकीपिंग करने से टीम में बैलेंस आया। 2002 से 2004 के बीच में इस तरह से टीम इंडिया को ऐसा विकेटकीपर मिला, जो बल्लेबाजी में भी टीम के लिए वरदान जैसा था।
धोनी को टीम में चुनना
2004 में गांगुली ने ही चयनकर्ताओं से धोनी पर दांव लगाने की बात कही थी। टीम इंडिया में धोनी की एंट्री का बड़ा श्रेय गांगुली को ही जाता है। इसके बाद उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ धोनी को बैटिंग ऑर्डर में नंबर-3 पर भेजा था। धोनी ने उस मैच में धमाकेदार पारी खेली थी। 2005 वाइजैग वनडे इंटरनैशनल में धोनी ने नंबर तीन पर बल्लेबाजी करते हुए 148 रन ठोके थे।
युवा क्रिकेटरों को बैक करना
वीरेंद्र सहवाग, युवराज सिंह, हरभजन सिंह, जहीर खान और महेंद्र सिंह धोनी ऐसे युवा क्रिकेटर्स थे, जिन्हें गांगुली ने काफी बैक किया था। गांगुली ने इन क्रिकेटरों पर विश्वास दिखाया और इन क्रिकेटरों ने उन्हें नतीजे दिए। इतना ही नहीं गांगुली ने युवा क्रिकेटरों में यह विश्वास जगाया कि हम भारत के बाहर जाकर भी जीत सकते हैं। गांगुली की कप्तानी में भारत ने 28 ओवरसीज टेस्ट खेले, जिसमें से 11 जीते।