मुंबई: प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) अदालत ने इस्लामिक धर्मगुरु जाकिर नाइक को 31 जुलाई तक कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है। साथ ही कहा कि अगर वह हाजिर नहीं होता है, तो अदालत उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करेगी। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नाइक के खिलाफ गैर जमानती वारंट की अर्जी दाखिल की।
जाकिर नाइक पर 193.06 करोड़ रु. की मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है। गिरफ्तारी की डर से वह 2016 में मलेशिया भाग गया। नाइक के खिलाफ 2016 में एंटी-टेरर लॉ के तहत केस दर्ज किया गया था। जून 2017 में कोर्ट ने नाइक को अपराधी घोषित किया गया था। भारत उसके प्रत्यर्पण की कोशिशों में जुटा है। ईडी ने पिछले महीने देश के कई शहरों में स्थित नाइक की संपत्तियों और बैंक अकाउंट्स में जमा रुपए जब्त किए थे।
राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) के मुताबिक नाइक ने जानबूझकर हिंदुओं, ईसाइयों और गैर-मजहबी मुसलमानों, विशेष रूप से शिया, सूफी और बरेलवी की धार्मिक मान्यताओं को ठेस पहुंचाई। ईडी ने जांच में पाया कि नाइक ने नफरत फैलाने के ज्यादातर भाषण 2007 से 2011 के बीच ही दिए थे।
हिंदुओं-ईसाइयों के खिलाफ भाषण देने का आरोप
एनआईए ने चार्जशीट में लिखा था कि जाकिर इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) द्वारा मुंबई में आयोजित किए जाने वाले 10-दिवसीय शांति सम्मेलन में हिंदुओं-ईसाइयों के खिलाफ भाषण देता था। यह सम्मेलन सोची-समझी योजना के तहत होता था। नाइक अन्य धर्मों के लोगों को खुले तौर पर इस्लाम में परिवर्तित करता था।