कोलकाता। अनेक वर्षों से तेरापंथ धर्मसंघ की सर्वोच्च संस्था ने एक सपना पाला था। अपने हृदय में एक अरमान जगया था। लगातार इस सपने को सत्य सृष्टि में परिनित करने के लिए इसके वर्तमान पदाधिकारीगण जूझते रहे, संघर्ष करते रहे।
आज पूज्य प्रवर के आध्यात्मिक आशीर्वाद व संस्थान के प्रभारी संत के पूर्ण मार्गदर्शन में संस्था शिरोमणि – महासभा के नैतृत्व में वो सपना साकार होता हुआ सा दिखाई देता है।
दिनांक 27 अप्रैल’ 19 को तेरापंथ विश्व भारती के ऐतिहासिक दस्तावेजो पर तिथि के महत्व को समझते हुए कोलकाता के भारत की पुनः प्राप्त आज़ादी के पहले से बने 100 वर्षों से अधिक सामाजिक सेवाओं के इतिहास का साक्षी महासभा प्रांगण उसी महासभा भवन में 11 व्यक्तियों द्वारा न्यास आलेख पर संकल्पवध हस्ताक्षर हुए परंतु आज उन्हीं दस्तावेजो पर परम पूज्य आचार्य प्रवर के मंगल सानिध्य में भारत वर्ष के विभिन्न प्रांतों में रहने वाले लगभग 98 तेरापंथी भाई – बहन हस्ताक्षर कर पूरे विश्व को सम्पूर्ण सृष्टि के अध्यात्म के दर्शनऔर समाज सेवा के तेजोवालय के रूप में एक नई श्रेष्ठ क्रांति को जन्म देने के लिए संकल्पित हुए हैं , यह एक शांतिपूर्ण चलने वाली सेवा क्रांति होंगी ,
समाज की सेवाओ के आयाम में , लोकसेवाओं के अध्याय में यह इतिहास का स्वर्णिम दस्तावेज बनने जा रही है , जिनके हृदय में तेरापंथ समाज के लिए अटूट निष्ठा और सामाजिक समरसता है और जो सेवा में पूर्ण विश्वास रखते हैं, उनको और उनके परिवार के सदस्यों को इस महान उपक्रम के माध्यम से जीवन प्रयन्त आगे से आगे सेवा करने का मौका मिलता रहेगा ।
यह तेरापंथ धर्मसंघ के द्वारा बड़े रूप से सेवाएं उपलब्ध कराने का एक महान संस्थान बनने जा रहा है l मुझे खुशी है कि समाज ने इस संघर्ष की गंभीरता को पहचाना और एक एक करके समाज के प्रत्येक परिवार का सदस्य इस महाअभियान से जुड़ता जा रहा है ।
यह बड़ी जिम्मेदारी का काम है , हम परमात्मा से प्रार्थना करते हैं कि इस महनीय कार्य को महासभा ध्येय सिद्धि तक लेके जाय और हम सभी अपने कर्तव्य का निर्वाह करते हुए समाज की आशा और अपेक्षाओँ के अनुरूप इसमें योगभूत बने ।
जिस तरह प्रयाग में दो नदियों का संगम होता है
और वो सनातन धर्म में बहुत ही पवित्र मानी जाती है
उसी तरह यह तेरापंथ विश्व भारती आध्यात्मिक और सामाजिक सेवाओं के संगम का महालय बनने जा रहा है , तेरापंथ धर्मसंघ अपनी मर्यादाओं और संस्कृति को अखंड रखते हुए आधुनिकता का वरण करते हुए आचार्य भिक्षु द्वारा शुरू की गई। इस तीर्थयात्रा को अमर काल तक सुरक्षित रखेगी l
तेरापंथ समाज के इस ऐतिहासिक अवसर पर
हम सब बड़ी विनम्रता के साथ एक साथ मिलकर
पूज्यप्रवर के मंगल आशीर्वाद से राष्ट्र के इस नवनिर्माण में जुड़ जाए।
तेरापंथ विश्व भारती की शुभारंभ संगोष्ठी आचार्य श्री महाश्रमण जी के पावन सानिध्य में सम्पन्न
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