जलगांव। महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी के ५८वें जन्मदिवस पर दि. १३मई २०१९ (जलगांव )बोथरा निवास में भक्तिसंन्धा आयोजित की गई। उपस्थित श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए विदुषी साध्वीश्री निर्वाणश्री जी ने कहा- आचार्य श्री महाश्रमणजी का व्यक्तित्व शैशव से ही विलक्षण था। आपकी उत्कृष्ट अध्यात्मनिष्ठा,सहजता व पापभीरूता प्रारंभ से ही अनूठी थी। सौभाग्य से साधु जीवन के शैशवकाल में जब हम समुच्चय में थे। तब आपको अत्यंत निकटता से देखते थे। मुनि मुदित में उस वक्त भी तेरापंथ का उज्ज्वल भविष्य नजर आता हैं। वर्तमान में पूज्प्रवर की अहिंसा यात्रा एक कीर्तिमान है। अहिंसा के प्रचार प्रसार की एक मिसाल है। प्रबुद्ध साध्वीश्री डा.योगक्षेमप्रभाजी ने अपने श्रद्धासिक्त भावों की प्रस्तुतिमे कहा – तेरापंथ के शिखर पुरुष आचार्य श्री महाश्रमणजी जैनशासन की शान उनकी साधना बहुश्रृतता और दूरदृष्टि एक ऐसी त्रिवेणी हैं। जो व्यक्तित्व को संर्वागीण बनाती है। साध्वीश्री लावण्यप्रभाजी ने इस मौके पर एक भक्तिमय गीत की स्तवना की । इस अवसर पर तेरापंथ सभा के मंत्री नवरतनजी चोरड़िया ,पूर्व अध्यक्ष ठाकरमल जी सेठिया ,प्रिया बोथरा , पवनजी श्यामसुखा आदि ने अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। बोथरा परिवार ने समवेत स्वरों में इस विशेष अवसर पर मिलने की प्रसन्नता प्रकट की। यह जानकारी मंत्री-ते.सभा जलगांव नवरतन चोरडिया ने दी।