वाशी। भगवान महावीर जन्म कल्याणक महोत्सव के मंगल प्रभात पर तेरापंथी, मंदिरमार्गी, स्थानकवासी तथा दिगंबर सकल जैन समाज द्वारा भव्य अहिंसा रैली का समायोजन किया गया। तेरापंथ भवन से प्रारंभ रैली वाशी के मुख्य मार्गों को भगवान महावीर के जयकारों से धरा-अंबर को गुंजायमान करती हुई पुनः अणुव्रत सभागृह पहुंची। विशाल उपस्थिति में गुणानुवाद सभा आयोजित की गई।
प्रथम चरण का कार्यक्रम पन्यास प्रशांत शेखर विजयजी म.सा., साध्वी श्री अणिमाश्रीजी व साध्वी श्री मंगलप्रज्ञाजी तथा मंदिरमार्गी साध्वी पुण्यमालाजी आदि ठाणा-12 के सान्निध्य में मनाया गया। सभी संत-साध्वी भगवंतों ने भगवान महावीर के विशिष्ट गुणों को व्याख्यायित करते हुए जैन एकता पर बल दिया एवं संगठित होकर काम करने की प्रेरणा दी। नवी मुंबई जीतो प्रेसीडेंट श्री अशोक छाजेड़, महावीर इंटरनेशनल से धर्मेंद्र श्रीमाल, श्वेतांबर जैन संघ सेंटर 28 के अध्यक्ष श्री मणिलाल भाई, नवी मुंबई अचलगच्छ जैन संघ के अध्यक्ष विपिन भाई, तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष श्री रणजीत खांटेड़, दिगंबर जैन संघ के अध्यक्ष श्री लवकेश जैन, वर्धमान स्थानक मेवाड़ संघ अध्यक्ष श्री भंवरलालजी बोहरा, नवी मुंबई स्थानक जैन संघ के अध्यक्ष श्री अशोकजी डांगी व मणीलालजी, श्वेतांबर मूर्तिपूजक संघ से राजेंद्र दुग्गड़ ने अपने भावों की सटीक प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन श्री चेतन कोठारी ने कुशलतापूर्वक किया।
दूसरे चरण का भव्य कार्यक्रम वाशी तेरापंथी सभा, तेयुप व महिला मंडल के तत्वावधान में साध्वी श्री अणिमाश्रीजी व साध्वी श्री मंगलप्रज्ञाजी के सान्निध्य में गुजरात भवन में आयोजित किया गया। भव्य उपस्थिति, भव्य कार्यक्रम ने संघ प्रबावना को वृद्धिगत किया।
साध्वी श्री अणिमाश्रीजी ने अपने प्रेरक उद्बोधन में कहा – भगवान महावीर का जन्म कल्याणक अभ्युदय का उत्सव है। भगवान महावीर का जन्म कल्याणक सकारात्मक सोच का सिंहद्वार है। भगवान महावीर ने अपनी साधना को को सिद्धि के द्वार तक पहुंचाकर समूची मानव जाति को उपकृत किया। आज पूरा जैन समाज महावीर जयंती का उत्सव मना रहा है। यह अच्छा कदम है लेकिन इससे भी बड़ी आवश्यकता महावीर को जीने की है। उनके उपदेशों को आत्मसात करके जीवन को सदाबहार बनाया जा सकता है। ऐसे पुनीत पल में एक सार्थक कदम हम इस दिशा में बढ़ाएं एवं जीवन को धन्य बनाएं।
साध्वी श्री मंगलप्रज्ञाजी ने मंगल भाव अर्पित करते हुए कहा – भगवान महावीर समत्वयोग के महासाधक थे। उनके साधना काल में आए भीषण कष्टों को पढ़ते हैं तो शरीर रोमांचित हो जाता है। देवकृत, मनुष्यकृत, तिर्यंचकृत भीषण उपसर्ग आए पर भगवान महावीर की समता विखंडित नहीं हुई। भगवान महावीर की समता का कुछ अंश हमारे जीवन में आए ताकि हम वीतरागता की ओर बढ़ सके, महावीर बनने की दिशा में प्रस्थान कर सके।
साध्वी कर्णिकाश्री जी ने भगवान महावीर की करुणा को व्याख्यायित करते हुए करुणाशील बनने की प्रेरणा दी।
साध्वी मैत्रीप्रभाजी ने भगवान महावीर की मातृभक्ति-पितृभक्ति एवं साहसकारी जीवन का वर्णन किया। साध्वी समत्वयशाजी ने सुमधुर स्वरलहरी का संगान कर परिषद में जबरदस्त समां बांधा।
साध्वी सुधाप्रभाजी ने प्रबावी मंच संचालन करते हुए कहा अजेय पराक्रम के अक्षय पुंज का नाम है भगवान महावीर। धर्मकला के महान मर्मज्ञ थे भगवान महावीर।
वाशी महिला मंडल ने अति सुंदर गीत की प्रस्तुति नई विधा में दी। शानदार प्रस्तुति ने सबको भावविभोऱ कर दिया। वाशी सभाध्यक्ष श्री संपतजी वागरेचा, तेयुप अध्यक्ष श्री रणजीत खांटेड़, महिला मंडल संयोजिका श्रीमती विनिता बाफना, अणुव्रत समिति मुंबई के मंत्री चेतन कोठारी, श्री रतनजी सिंयाल, श्रीमती निर्मला चंडालिया, आदित्य गोखरू ने अपने भावों की प्रस्तुति दी। संचालन का कुछ अंश मंत्री श्री अर्जुन सोनी ने किया। उक्त जानकारी महावीर कोठारी द्वारा प्राप्त विज्ञप्ति में दी गई।
वाशी में महावीर जन्म कल्याणक महोत्सव का आयोजन
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