चेन्नई। तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता की मौत की जांच कर रहे न्यायमूर्ति अरुमुगास्वामी आयोग ने अपनी रिपोर्ट में उनकी विश्वासपात्र वीके शशिकला, निजी डॉक्टर केएस शिवकुमार, तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव जे राधाकृष्णन और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ. सी विजयभास्कर को दोषी ठहराया है और उनके खिलाफ जांच की सिफारिश की है।
आयोग की 608 पन्नों की रिपोर्ट तमिलनाडु सरकार ने मंगलवार को विधानसभा में पेश किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि अपोलो अस्पताल के अनुसार जयललिता का निधन पांच दिसंबर 2016 की रात 11.30 बजे हुआ था। वहीं गवाह के अनुसार जयललिता का निधन 4 दिसंबर, 2016 को दोपहर 03.00 बजे से 03.50 बजे के बीच ही हो चुका था और उनके निधन की आधिकारिक घोषणा 5 दिसंबर, 2016 को की गई थी। उनके निधन की घोषणा में देरी की गई और निधन के समय को गलत बनाने के लिए स्टर्नोटॉमी और सीपीआर जैसी चतुर क्रियाकलापों को किया गया।
रिपोर्ट में सवाल उठाया गया कि सुश्री जयललिता को इलाज के लिए विदेश क्यों नहीं भेजा गया, जबकि लंदन के डॉ. रिचर्ड बीले उनको विदेश ले जाने के लिए तैयार थे।
राज्य सरकार के आग्रह पर ब्रिटेन और अमेरिका के प्रख्यात चिकित्सक अपोलो अस्पताल पहुंचे और उन्होंने जयललिता का इलाज करने वाले अपोलो अस्पताल के डॉक्टरों डॉ. वाई.वी.सी. रेड्डी और डॉ. बाबू अब्राहम को उनका एंजियोप्लास्टी करने का सुझाव दिया लेकिन उन्होंने कुछ दबाव में अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए इस प्रस्ताव पर ध्यान नहीं दिया। इसलिए आयोग ने कहा कि इसकी जांच होनी चाहिए।
आयोग ने तत्कालीन मुख्य सचिव राम मोहन राव द्वारा प्रक्रियात्मक पहलुओं के लिए विभिन्न तिथियों में 21 फॉर्मों पर हस्ताक्षर करने को एक अपराघिक गतिविधि माना। आयोग कहा कि निसंदेह यह मानवीय गलती है और उन्हें इसके परिणाम भुगतने होंगे, क्योंकि इससे जयललिता की जान गई और इसलिए जांच का आदेश दिया जाना चाहिए।
अपोलो अस्पताल के चेयरमैन डॉ. प्रताप सी रेड्डी जयललिता के हृदय रोगों और चल रहे उपचारों के बारे में वास्तविक तथ्यों का खुलासा किए बिना लगातार अपने कमरे से ब्रीफिंग करते रहे। यद्यपि वह वास्तविक तथ्यों को बताने के लिए बाध्य और अधिकृत व्यक्ति थे, लेकिन उन्होंने पूरी जानकारी वाला सच नहीं बताया और एक झूठा प्रेस विज्ञप्ति जारी किया कि जयललिता को किसी भी समय अस्पताल से छुट्टी मिल सकती है। अब सरकार को फैसला लेना है और इसकी जांच करनी है।
आयोग ने कहा कि तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम औपचारिक रूप से उनके आंतरिक और करीबी लोगों में आते थे और जो कुछ भी हुआ चाहे जब जयललिता जिंदा भी थीं वह उनकी जानकारी में था। वह बिना समय गंवाए मुख्यमंत्री बन गए। उन्होंने अपने आपको जयललिता के उत्तराधिकारी के रूप में प्रस्तुत किया, जो एक आकस्मिक घटना नहीं है।
अन्नाद्रमुक सरकार ने 22 सितंबर, 2016 को जयललिता को अस्पताल में भर्ती कराने और पांच दिसंबर, 2016 को उनका दुर्भाग्यपूर्ण निधन होने तक परिस्थितियों की जांच करने के लिए अरुमुगास्वामी जांच आयोग का गठन किया था। आयोग ने नवंबर 2017 में अपनी जांच शुरू की और 27 अगस्त 2022 को मुख्यमंत्री एम.के.स्टालिन को अपनी रिपोर्ट सौंपी।
अरुमुगास्वामी आयोग की सहायता करने के लिए गठित एम्स चिकित्सा पैनल ने कहा कि जयललिता का उपचार सही चिकित्सा पद्धति के अनुसार हुआ और दिवंगत मुख्यमंत्री की देखभाल में कोई त्रुटि नहीं की गई।
जयललिता की मौत में वीके शशिकला, निजी डॉक्टर केएस शिवकुमार दो अन्य दोषी ठहराए गए
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