एडिनबर्ग:अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने मंगलवार को सीओपी 26 में चीन के न शामिल होने को भारी भूल करार दिया। निराशा व्यक्त करते हुए बाइडन ने एक प्रेस कांफ्रेस में बाइडन ने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ( Xi Jinping) के नहीं आने का मुद्दा उठाया।
राष्ट्रपति जो बाइडन ने सम्मेलन में प्रतिनिधियों को बताया कि 100 देशों ने मीथेन गैस में कटौती करने का संकल्प लिया है। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका मीथेन गैस में कटौती करने के लिए प्रतिबद्ध है। कार्बन डाइआक्साइड की तुलना में मीथेन गैस वातावरण में बहुत कम समय तक रहती है, लेकिन पृथ्वी के तापमान को बढ़ाने में कार्बन डाइआक्साइड से 80 प्रतिशत ज्यादा शक्तिशाली है।
पूर्व औद्योगिक काल से ग्लोबल वार्मिग को बढ़ाने में मीथेन गैस 30 प्रतिशत जिम्मेदार है और इसमें कटौती जलवायु परिवर्तन को धीमा करने का सबसे अच्छा तरीका है। किफायती, स्वच्छ तकनीक पर ब्रिटेन-भारत साथ आए ग्लासगो जलवायु शिखर सम्मेलन में ब्रिटेन की तरफ से एक अंतरराष्ट्रीय योजना पेश की गई। इसे ग्लासगो ब्रेकथ्रू नाम दिया गया है। इसके तहत 2030 तक दुनिया भर में किफायती और स्वच्छ तकनीक मुहैया कराने का प्रविधान है। इस योजना के प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री मोदी समेत 40 नेताओं ने हस्ताक्षर किए हैं। ये वो देश हैं जो दुनिया की 70 प्रतिशत अर्थव्यवस्था बनाते हैं।
जलवायु शिखर सम्मेलन में जुटे दुनिया भर के नेताओं ने वनों को बचाने और मीथेन गैस के उत्सर्जन में कटौती करने का संकल्प लिया। मीथेन ग्रीन हाउस गैस का अहम हिस्सा है और इसमें कटौती से जलवायु परिवर्तन में गति धीमी होगी। सम्मेलन में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जानसन ने वन और भूमि उपयोग पर ग्लासगो नेताओं की घोषणा लांच की। 2030 तक वनों की कटाई को रोकने से संबंधित इस समझौते पर चीन और ब्राजील समेत 100 देशों ने हस्ताक्षर किए हैं। भारत ने व्यापार को वनों की कटाई से जोड़ने पर चिंता जताते हुए समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किया है।