नई दिल्ली: केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के टकराव की खबरें छन-छनकर बाहर आ रही थीं। लेकिन अब इस टवराव की असल वजह खुलकर सामने आ गई है। दोनों के बीच तल्खी की वजह सरकार का एक प्रस्ताव रहा, जिसमें केंद्र सरकार ने आरबीआई से रिजर्व पूंजी में से सरप्लस के 3.6 लाख करोड़ रुपए देने का प्रस्ताव रखा था, जो कि कुल सरप्लस 9.59 लाख करोड़ का एक तिहाई है। आरबीआई ने सरकार के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया और दलील दी कि इससे माइक्रो इकोनॉमी को खतरा हो सकता है।
फंड ट्रांसफर का सिस्टम है पुराना
केंद्र सरकार ने सुझाव दिया था कि सरप्लस को सरकार और आरबीआई दोनों मिलकर मैनेंज करें, क्योंकि वित्त मंत्रालय की नजर में आरबीआई का फंड ट्रांसफर से जुड़ा सिस्टम काफी पुराना है। वहीं आरबीआई का मानना है कि सरकार की आरबीआई से इस तरह से इकोनॉमी पर बुरा असर पड़ेगा। साथ ही अर्जेंटीना जैसी आर्थिक हालात में सरप्लस की रकम मददगार साबित होगी। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने 26 अक्टूबर की अपनी स्पीच में इस मुद्दे का जिक्र किया था।
आरबीआई का निर्णय एकतरफा
वित्त मंत्रालय के मुताबिक सरप्लस ट्रांसफर करने का मौजूदा फ्रेमवर्क एकतरफा था, जिसे आरबीआई की ओर से जुलाई 2017 में लागू किया है। वित्त मंत्रालय का कहना है कि जिस सरप्लस ट्रांसफर के मुद्दे पर मीटिंग हुई, उस वक्त सरकार की ओर नॉमिनेटेड दोनों सदस्य शामिल नहीं थे। ऐसे सरकार इस फ्रेमवर्क को मानने से इनकार कर रही है और आरबीआई से इस मामले में चर्चा करना चाहती है। सरकार की मानें तो आरबीआई के पास कैपिटल रिजर्व जरूरत से ज्यादा है। ऐसे में उससे 3.6 लाख करोड़ रुपए सरकार दो दिए जाएं।
बैंकों के हालात सुधारने में मिलेगी मदद
सरकार का कहना है कि आरबीआई को 2017-18 के सरप्लस को सरकार को देना देना चाहिए। सरकार सरप्लस की रकम से अपना चालू खाता घाटा(CAD) कम करना चाहेगी। साथ ही पब्लिक सेक्टर की बैकों के हालत सुधारने में मदद मिलेगी। बता दें कि आरबीआई की ओर से 2017-18 में सरकार को 50 हजार करोड़ रुपए सरप्लस ट्रांसफर किया गया था। इसी तरह 2016-17 में 30 हजार करोड़ सरप्लस ट्रांसफर किया था।
RBI की अलग दलील
आरबीआई की दलील है कि सरप्लस को आपात स्थिति या फिर वित्तीय जोखिम के लिए बचाककर रखा गया है। यूएस, यूके, अर्जेंटीना, फ्रांस, सिंगापुर की केंद्रीय बैंकों में अपनी कुल संपत्ति का कम से कम कैपिटल रिजर्व रखा जाता है, जबकि मलेशिया, नार्वे और रूस भारत से ज्यादा रिजर्व रखती हैं।
रिजर्व बैंक ने सरकार को अपना रिजर्व देने से किया इनकार
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