मुम्बई। साध्वी श्री आणिमाश्रीजी व साध्वी मंगलप्रज्ञा जी के सांनिध्य में दक्षिण मुंबई तेरापन्थ युवक परिषद के तत्वावधान में जैन संस्कार विधि से दीपावली पुजन कार्यशाला का आयोजन महाप्रज्ञ पब्लिक स्कूल के तुलसी सभागृह में किया गया। साध्वी श्री आणिमाश्रीजी ने अपने उदबोधन में कहा भारतीय संस्कृति में सत्कार , सम्मान , पूजा , अर्चना, आदि संस्कार जन मानस में गहराई तक धुले मिले नजर आ रहे है। पर्वो का देश हिंदुस्तान जहा अनेक पर्व उत्सवों देश के प्रायः हर कोने में सोत्साह मनाए जाते उन पर्वो में दीपावली अपना शीर्षस्थ स्थान बनाए हुए है। वैदिक परंपरा एवं जैन परम्परा दोनों में ही दीपावली का अपना महत्व है। दोनों ही परम्पराओ में लक्ष्मी पूजन कि प्राचीन परंपरा रही है। दिवाली पूजन विधि जैनों में जैन मन्त्रो के साथ हो जैनत्त्व कि झलक जीवन व्यवहार में हो । इस दृष्टि से जैन संस्कार विधि से दिवाली पूजन प्रत्येक जैन भाई का दायित्व बनता है। अपनी भावी पीढ़ी को संबोध देने में भी यह विधि कारगर बनती है।
साध्वी श्री मंगलप्रज्ञा जी ने कहा दीपावली का यह समय तप जप से आत्मा को भावित करने का समय है। नमस्कार महामन्त्र के साथ साथ महावीर प्रभु एवं गणधर गौतम का जप भी अनुष्ठान पूर्वक किया। जाना चाहिए संयम श्री शक्ति धृति का संवर्धन व्यक्ति के जीवन को सार्थक दिशा दे सकता है। साध्वी कर्णिका श्रीजी, साध्वी सुधाप्रभाजी, साध्वी स्मतव्यशाजी व साध्वी मैत्रीप्रभाजी ने अपने विचार रखे। तेयुप अध्यक्ष रवि डोसी ने दिवाली पूजन विधि की जानकारी देते हुए मंगल भावना पत्रक का वितरण किया। यह जानकारी मीडिया प्रभारी नितेश धाकड़ ने दी।
कालबादेवी तेरापन्थ भवन में जैन संस्कार विधि से दीपावली पूजन कार्यशाला
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