नई दिल्ली:मालदीव, सेशेल्स, बाली और मॉरिशस की तर्ज पर भारत के द्वीपों में भी लैगून विला बनने जा रहे हैं। नीति आयोग ने इसके लिए फीजिबिलिटी सर्वे शुरू किया गया और ये अंतिम दौर में है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पहले 2 लैगून विला लक्ष्यद्वीप के सुहेली और मिनीकॉय में बनाए जाएंगे। नीति आयोग के सूत्रों ने हिंदुस्तान को बताया कि सुहेली और मिनीकॉय द्वीपों को लैगून विला के लिए चिन्हित कर लिया गया है। यह देखा जा रहा है कि विला बनाने के बाद कहीं इस इलाके में समुद्री जीवन प्रभावित तो नहीं होगा।
12 नवंबर को नीति आयोग की टीम लक्ष्यद्वीप में अंतिम दौर के सर्वे के लिए जाएगी। उसके बाद जो रिपोर्ट आएगी, उसके आधार पर पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लैगून विला बनाना शुरू कर दिया जाएगा। एक बार ये प्रोजेक्ट तैयार होने के बाद उसकी सफलता को देखते हुए बाकी द्वीपों में भी इस तरह के विला बनाए जाएंगे। नीति आयोग इसके लिए जनवरी महीने में निविदाएं मंगाएगा।
क्या होता है लैगून विला
1) लैगून समुद्र किनारे या किसी द्वीप के आसपास का वह क्षेत्र होता है, जहां गहराई और पानी का बहाव बहुत कम होता है। वहां लकड़ी के लग्जरी विला तैयार किये जाते हैं, जिनमें सभी सुविधाएं होती हैं। किनारे से उन तक पहुंचने के लिए लकड़ी का ही पुल होता है।
2) लैगून क्षेत्र शेष समुद्र के मुकाबले सुरक्षित माना जाता है। ऐसे में वहां विला बनाने का काम आसानी से किया जा सकता है। इन्हीं जगहों पर आलीशान विला बनाकर पर्यटकों को नया अहसास कराने की तैयारी नीति आयोग कर रहा है।
डूबे द्वीप भी संवारे जाएंगे
नीति आयोग के सदस्य जितेंद्र कुमार ने हिंदुस्तान को बताया कि डूबे द्वीपों को संवारने का काम भी आने वाले दिनों में किया जाएगा। आयोग इस दिशा में शोध कर रहा है कि सुनामी या दूसरी प्राकृतिक आपदा की स्थिति में डूब चुके द्वीपों को कैसे दोबारा संवारा जाए।
सोलर एनर्जी का इस्तेमाल
जितेंद्र कुमार के मुताबिक द्वीपों के विकास के दौरान ये ख्याल रखा जा रहा है कि यहां के पर्यावरण व जनजातियों को नुकसान न हो। ये क्षेत्र सेस्मिक जोन पांच में आता है, ऐसे में यहां डीजल की जगह सोलर विंड और समुद्री थर्मल एनर्जी का इस्तेमाल किया जाएगा।
अंडमान में बढ़े पर्यटक
इन जगहों तक पहुंचने के लिए हवाई सुविधाओं पर भी तेजी से काम चल रहा है। आने वाले दिनों में इन क्षेत्रों में मौजूद 17 हेलीपेड का इस्तेमाल छोटे हवाई जहाज लैंड कराने और हेलीकॉप्टर सेवाएं बढ़ाने में भी किया जाएगा। हाल के वर्षों में अंडमान के पर्यटन में अच्छी खासी बढ़त दर्ज की गई है। 2011 की तुलना में भारत में 2016 में पर्यटकों की संख्या करीब दोगुनी हो गई है।
परमिट के कार्य एजेंसी करेगी
नीति आयोग द्वीपों के विकास का रौडमैप बना रहा है। उसे देश भर में लागू करने की जिम्मेदारी गृह मंत्रालय के अधीन ह्यआइलैंड डेवलपमेंट एजेंसीह्ण की होगी। ये एजेंसी द्वीपों में तैयार होने वाले इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े तमाम परमिट मुहैया कराएगा।
भारत में भी मालदीव और बाली की तरह बनाए जाएंगे लैगून विला
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