
गत चार वर्षों में राष्ट्र ने सफलता के कई नए मापदंड स्थापित किये हैं। आज के दौर को नया दौर कहने में कोई हिचकिचाहट नही होगी। राष्ट्र में एक विकसित राष्ट्र की क्षमता नजर आने लगी है। हम किसी सरकार, पार्टी या व्यक्ति विशेष के पक्ष में अपने विचार नहीं रख रहे हैं। देश के जो वर्तमान हालत हैं उस पर नजर डाल रहे हैं। अब भारतवर्ष कागजों, अखबारों, टीवी चैनलों पर ही दिखने वाला ना होकर वास्तव में दुनिया के विकसित देशों की पंक्ति में अपना सीना ताने खड़ा है। माना कि हम आज भी कई राष्ट्रीय बीमारियों से ग्रसित हैं। पर वर्तमान की सुदृढ शासन व्यवस्था को देखते हुए ऐसा लगता है कि गौर तिमिर खत्म तो नही हुआ है लेकिन तिमिर को खत्म करने वाले दीपकों का नव सृजन हो चुका है। देश बीते 68 वर्षो की आपातकालीन स्थिति जेल कर नए सिरे से अपने आप मे अकल्पनीय बदलाव की ओर अग्रसर है। बीते वर्षो में हमने सर्जिकल स्ट्राइक, नोटबंदी, जीएसटी, तीन तलाक, बुलेट ट्रेन, स्वच्छ भारत आदि कई महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को मूर्त रूप दिया है। हम यह अच्छी तरह से जानते है कि अभी मंजिल काफी दूर है लेकिन शत प्रतिशत विश्वास से कह सकते हैं कि दूरी का अगर कोई माप है तो इंसान ने चंद्रमा की दूरी को भी नापा है। वर्तमान समय मे देश के आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक, विदेशनीतिक, कुटनीतिक ढांचे में जो बदलाव आए हैं वो वास्तव में सरहानीय हैं। आज हमारी तिरंग पताका विदेशों में उच्च शिखर पर है। चीन जैसी महाशक्ति भी हमसे अपनी दुश्मनी का इजहार सामने सामने करने से कतराती है। मानो ऐसा महसूस होता है कि जैसे फिऱ से सिकंदर महान वापस खाली हाथ लौट कर जा रहा हो। आजादी के 70 वर्षों के बाद आज देश का हर नागरिक पहली बार ऐसा महसूस कर रहा है कि अब राम मंदिर और कश्मीर मुद्दा अपने अंत के निकट है। यह जो भी बड़े-बड़े बदलाव भारतीय जनमानस ने सहजता से स्वीकारे हैं, इसका सबसे बडा कारण यह भी है कि आज हर भारतीय संविधान में सुदृढ बदलाव के लिए संकल्पित है। आज हिन्दुस्थान के साथ अमेरीका, रूस, जापान, इसरायल जैसे महाशक्तिया खड़ी है, जो वक़्त आने पर भारत की हरसंभव सहायता के लिए वचनबद्ध है। भारतवर्ष यह अच्छी तरह से जनता है कि पाकिस्तान हमारे लिए कोई बड़ी चुनौती नहीं है, हमारे देश का भीतरी ढांचा अगर सुदृढ़ हो जाये तो 48 घण्टो में ही पाकिस्तान दुनिया के नक्शे से गायब हो जाएगा, इतिहास साक्षी है। हम हिंसा का समर्थन नही करते किन्तु दुनिया के हर धर्म मे यह भी समझाया गया है कि आतंक करने वाला आतंकवादी और आतंक समाप्त करने वाला संकटमोचक होता हैं। आज देश के सर्वोच्च पद पर बैठे व्यक्ति को हमने यह कहते हुए पूरी आजादी दी है कि वो जो करेगा जनमानस उसे सहर्ष स्वीकारेगा। प्रत्येक जनमानस आज घोर अँधेरे से सर्जनात्मक उजाले की ओर अपने स्वर्णिम कदम बढ़ा रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल जी की वो पक्तिया आज सुच साबित हो रही है –
ज्ञान और विज्ञान मिलकर रास्ते बन जाएंगे,
आने वाली पीढ़ियों को मंजिलो तक लाएंगे
नाज होगा सारी दुनिया को हमारी खोज पर,
और हम अगली सदी के राहनुमा कहलायेंगे। जो काबिल हैं, देश उसकी काबिलियत के साथ पूरा-पूरा न्याय कर रहा है। अब अगर किसी नवजात शिशु को अभिभावक यह कहे कि तूं 68 वर्षो की इमरजेंसी के बाद पैदा हुआ है तो इसमें कोई संकोच नहीं होगा। इन सबके बीच देश ने कई प्राकर्तिक ओर आतंकित आपदाओं को भी सहा है, किन्तु जिस संयम ओर साहस से राष्ट्र ने उसका सामना किया है उससे ऐसा प्रतीत होता है कि ये सन 1947 वाला ही हिन्दुस्तान है। हमारे पास आज एशिया में दूसरे नंबर की आर्मी है। इतिहास यह चीख-चीख़ कर हमेशा गवाही देता है कि अगर हिंदुस्तानी अपनी पर आ जाये तो कुछ भी कर सकता है। हम राम धनुष के बल पर लंका से सीता जी को लेकर आ गए, हमने 16 बार मोहम्मद गोरी को पकड़कर छोड़ दिया। हमने शून्य का सर्जन किया। हमारी धारा पर नन्हा कान्हा शेषनाग का मर्दन करता है। ये हमारी शक्ति का उदहारण है। जिसे हम वक़्त आने पर आजमाएंगे। सोचिये मित्रों एक असंतुलित परिवार का संतुलन बिठाने में मुखिया को कितना समय लगता है। यह तो विश्व की जनसंख्या के दृष्टि से दूसरा बड़ा देश है कुछ तो समय लगेगा ही। और हम तो 68 वर्षो की इमरजेंसी झेल कर फिर से खड़े हुए हैं। नूतन रोशनी आने में समय जरूर लगेगा किन्तु रोशनी आएगी जरूर..।
समय बदलेगा। राष्ट्र बदलेगा और रावण रूपी बीमारियों का अन्त होगा। राष्ट्र प्रगति रूपी रोशनी की चकाचौंध में नहायेगा। हर जगह नए दीपोत्सव का सृजन होगा। कोई व्यक्ति किसी आपदा, विपदा से ग्रस्त नही होंगा, राग, द्वेष, जातिवाद, आतंकवाद, अपराध रूपी रावणों का अन्त हो जाएगा। हर पुत्र में राम भाई में लखन, पत्नी में सीता, दास में हनुमान, मित्र में विभिषण बनने की परिकल्पना का विकास होगा। देश सच्ची सफलता के नए आयाम गढ़ेगा। उस दिन से हर दिन दीपावली मनाई जाएगी। सही मायनों में उसी दिन दिवाली और उसी दिन नूतन दीपोत्सव होगा। राष्ट्र के सभी सजग पहरी अपनी भूमिका का अहतियात से निवर्हन कर रहे है। आंकड़े को देखा जाए तो 1948 के बाद सीमा इतनी सुरक्षित कभी नहीं थी, जैसी आज है। दुश्मन हमसे दूर-दूर तक निगाहें नहीं मिला पा रहा है। अब समय है हर व्यक्ति को अपने व्यक्तिगत स्तर पर सुधारने का। पूज्य गुरुदेव श्री तुलसी ने कहा था,
।।सुधरे व्यक्ति समाज तभी तो राष्ट्र स्वयं सुधरेगा।।
उनकी इस बात पर अगर व्यक्ति चले तो वाकई में राष्ट्र यथासंभव सफलता के स्वर्णिम शिखर की ओर अग्रसर होगा। आज को दौर में राष्ट्र को खुली आँखों से देखा जाए तो दुखी वही है जो व्यर्थ के खाने की चाह रखता हो, मेहनतकस को हम सम्पन्न तो नही कह सकते किन्तु संतुष्ट जरूर कह सकते हैं।
गत तीस वर्षों में पहली बार भारत अपने आप इतना सुरक्षित महसूस कर रहा है। जो लोग असुरक्षित महसूस कर रहे हैं वो असामाजिक घटक हैं जो सिर्फ ओछी और गंदी राजनीति के अंश हैं जो कभी भी अखबारों की सुर्खियों से गायब हो सकते हैं। उनका आतंकी मुल्कों में सहर्ष स्वागत होगा। वतन की पहरेदारी करने वाले वीर सैनिक पुत्रों की माताओं, पत्नियों ओर परिवार जनों के प्रति देश पूरा आभारी रहेगा। जब हिंदुस्थान में समृद्वि, शांती, समपन्नता अपने कदम निरन्तर बढ़ाएगी तब वास्तव में हर व्यक्ति, हर समाज और पूरा राष्ट्र सच्ची दीपावली मनाएगा। सभी पाठकों को दीपावली और नव वर्ष को हार्दिक शुभकामनाएं।