मुंबई:उत्तर प्रदेश के भदोही के रहने वाले 16 वर्षीय यशस्वी जायसवाल ने मुंबई की रणजी टीम में चुने जाने पर खुशी जताई है। उनका कहना है कि वह रणजी पदार्पण के लिए पूरी तरह से तैयार हैं और उनकी कोशिश अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की होगी। रणजी ट्रॉफी के इस सत्र का आगाज गुरुवार को 17 मैचों के साथ होगा। इस दौरान मुंबई की टीम दिल्ली के करनैल सिंह स्टेडियम में रेलवे के खिलाफ अपना पहला मैच खेलेगी। उम्मीद जताई जा रही है कि यशस्वी को इसी मैच में रणजी पदार्पण करने का मौका मिल जाएगा।
रणजी पदार्पण के लिए तैयार हूं: यशस्वी
यशस्वी ने कहा, ‘मुंबई रणजी टीम का हिस्सा बनकर मैं काफी खुश हूं। मेरे लिए यह बेहद सम्मान की बात है। अंडर-19 एशिया कप में मेरे प्रदर्शन से मेरा आत्मविश्वास बढ़ा है। मैं रणजी पदार्पण करने के लिए तैयार हूं और मुंबई के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की पूरी कोशिश करूंगा।’
रेलवे के खिलाफ रणजी मैच के लिए हालांकि अभी मुंबई की अंतिम एकादश की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन कोच विनायक सामंत ने संकेत दिए हैं कि यशस्वी को अंतिम एकादश में शामिल करने की प्रबल संभावना है, लेकिन अंतिम एकादश की घोषणा विकेट और परिस्थितियों पर निर्भर करेगी। हालांकि, यशस्वी ने कहा कि उन्होंने पदार्पण मैच को लेकर बहुत ज्यादा नहीं सोचा है। वह इसे अपने अब तक खेले गए अन्य मैचों की तरह ही लेंगे।
उन्होंने कहा, ‘मैंने अपने से बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं लगाई है। मैं सिर्फ अपना स्वाभाविक खेल खेलूंगा और हर गेंद को उसके हिसाब से खेलूंगा।’ यशस्वी को क्रिकेट की कोचिंग ज्वाला सिंह ने दी है, लेकिन वह भारत के लिए टेस्ट खेल चुके मुंबई के ओपनर वसीम जाफर से भी टिप्स लेते रहे हैं।
ऐसे मिला ये मौका
16 साल के यशस्वी पहले घोषित हुई 15 सदस्यीय टीम का हिस्सा नहीं थे, लेकिन श्रेयस अय्यर को भारत की टी-20 टीम में शामिल किए जाने के बाद मुंबई की टीम में उनके स्थान पर यशस्वी को जगह मिली।
सचिन और वेंगसरकर भी कर चुके हैं तारीफ
यशस्वी को करीब तीन महीने पहले दिग्गज क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने अपने घर बुलाकर तोहफे में बल्ला दिया था। वह मानते हैं कि सचिन से मिलना उनके जीवन के सबसे बेहतरीन पल में से एक है। उन्होंने कहा कि सचिन से मिलकर उनके आत्मविश्वास में काफी वृद्धि हुई है। बायें हाथ के बल्लेबाज और दायें हाथ से लेग स्पिन गेंदबाजी करने वाले यशस्वी अपने खेल से सचिन तेंदुलकर और दिलीप वेंगसरकर जैसे दिग्गज खिलाड़ियों का भी दिल जीत चुके हैं।
टेंट में रहकर किया गुज़ारा
यशस्वी के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है और उनके पिता आज भी भदोही में एक छोटी सी हार्डवेयर की दुकान चलाते हैं। यशस्वी जब सिर्फ 10 साल के थे तो क्रिकेटर बनने का सपना लेकर मुंबई पहुंचे थे। इसके बाद उनके संघर्षो का दौर शुरू हुआ। मुंबई में वह आजाद मैदान के एक क्लब से जुड़ तो गए, लेकिन उनके पास रहने के लिए कोई जगह नहीं थी। ऐसे में वह करीब एक साल तक आजाद मैदान में लगे टेंट में रहे। उन्हें जमीन पर सोना पड़ता था जहां उन्हें चीटिंयां काट खाया करती थीं। गुजारा करने के लिए उन्होंने गोल गप्पे भी बेचे।
ऐसे बदली किस्मत
एक दिन क्रिकेट कोच ज्वाला सिंह की नजर उन पर पड़ी। यह वही ज्वाला हैं जो हाल ही में टेस्ट पदार्पण करने वाले पृथ्वी शॉ के भी कोच हैं। यशस्वी को ज्वाला अपने साथ ले गए और वहीं से यशस्वी की सफलता के सफर की शुरुआत हुई। इसके बाद यशस्वी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने कई बेहतरीन पारियां खेलीं और कई विकेट अपने नाम किए।
टेंट में रहकर ,गोल गप्पे बेचकर यशस्वी जायसवाल ने किया सपना पूरा
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