नई दिल्ली:देश की राजधानी का प्रदूषण स्तर मंगलवार को गंभीर श्रेणी में पहुंच गया। इस पर लगाम के लिए सरकार ने कई कदम उठाए। परिवहन विभाग ने दस और 15 साल पुराने डीजल-पेट्रोल वाहनों को जब्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी है। प्रदूषण फैलाने पर लगी पाबंदी पर नजर रखने के लिए 52 टीमें गठित की गई हैं। निगमों ने भी निर्माण पर रोक लगा दी। हिन्दुस्तान की रिपोर्ट…
40 लाख पुराने वाहन जब्त होंगे, नोटिस जारी
सुप्रीम कोर्ट के दस साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहन हटाने के आदेश के बाद दिल्ली की सड़कों से करीब 40 लाख वाहन हट जाएंगे। दिल्ली परिवहन विभाग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मंगलवार को सार्वजनिक नोटिस जारी कर ऐसे वाहन सड़क पर पकड़े जाने पर उन्हें जब्त करने की बात कही है। परिवहन विभाग की ओर से जारी नोटिस में ऐसे वाहनों को सड़कों पर उतारने के लिए मना किया गया है। विभाग इस कार्रवाई में ट्रैफिक पुलिस को भी शामिल कर रहा है। वर्तमान में दिल्ली के प्रदूषण स्तर में 41 फीसदी की भागीदारी वाहनों की है। अगर 40 लाख पुराने वाहनों को सड़कों से हटा दिया जाए तो दिल्ली में लगभग 67 लाख वाहन ही बचेंगे। इससे वाहनों से होने वाले प्रदूषण के स्तर में कमी आएगी।
परिवहन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हमनें पुराने वाहनों की सूची तैयार कर ली है। सार्वजनिक सूचना जारी करके 10 साल पुराने डीजल वाहनों और 15 साल पुराने पेट्रोल / सीएनजी चालित वाहनों को सड़कों पर उतारने से मना किया गया है। फिर भी अगर कोई ऐसा वाहन सड़कों पर चलाता पाया जाता है तो उसे जब्त कर लिया जाएगा। इसके लिए अलग-अलग शिफ्ट में परिवहन विभाग की इनफोर्समेंट टीम के अलावा ट्रैफिक पुलिस भी कार्रवाई करेगी।
जब्त वाहनों को रखने की दिक्कत
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद परिवहन विभाग ने भले ही आनन-फानन में 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को हटाने को लेकर नोटिस जारी कर दिया है। मगर, परिवहन विभाग के आधिकारिक सूत्रों की मानें तो उनके पास इतनी बड़ी संख्या में जब्त वाहनों को रखने के लिए जगह नहीं है। विभाग बीते एक साल से ऐसे जब्त वाहनों को रखने के लिए जगह तलाश रहा है। लेकिन, कई बैठकों के बाद भी अभी तक डीडीए की तरफ से उसे जमीन नहीं उपलब्ध हो सकी है।
पाबंदी लागू कराने के लिए 52 टीमें तैयार
दिल्ली में प्रदूषण की रोकथाम के लिए 1 नवंबर से सरकार का रुख सख्त रहेगा। सरकार 1 नवंबर से दिल्ली में स्वच्छ हवा सप्ताह बनाएगी और पटाखों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश और अन्य उपायों के क्रियान्वयन के लिए 52 टीमें तैयार की गई हैं। इनमें से 44 टीमें दिल्ली की हैं जबकि दो टीमें गुरूग्राम, फरीदाबाद, नोएडा एवं गाजियाबाद की हैं। केंद्रीय पर्यावरण सचिव सी. के. मिश्रा की अध्यक्षता में मंगलवार की शाम हुई उच्च स्तरीय बैठक में यह निर्णय लिया गया। इसमें दिल्ली के मुख्य सचिव तथा एनसीआर के शहरों के अधिकारी भी मौजूद थे। मिश्रा ने तमाम प्रयासों के बावजूद भी प्रदूषण के स्तर में कमी नहीं आने पर्र ंचता जाहिर की। लेकिन उन्होंने कहा कि 1 नवंबर के बाद दिल्ली की हवा को गंभीरू रूप से खराब श्रेणी में नहीं पहुंचने दिया जाएगा। प्रदूषण की रोकथाम से जुड़े कदमों का सख्ती से क्रियान्वयन किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि 52 टीमें दिल्ली और एनसीआर पर नजर रखेंगी। निर्माण की सभी गतिविधियों पर रोक लगा दी गई है। किसी प्रकार की सामग्री जलाने पर भी रोक है। दिल्ली सरकार से कहा गया है कि वह 400 टैंकरों से पानी का छिड़काव करे। उद्योगों को चेतावनी दी गई है कि यदि उन्होंने मानकों का पालन नहीं किया तो उन्हें बंद कर दिया जाएगा। मिश्रा ने कहा कि पटाखों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी सख्ती से क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने कहा कि सीपीसीपी, दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल कमेटी एवं वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के प्रतिनिधियों की टीमें भी इस पर नजर रखेंगी।
शाहदरा में प्रदूषण फैला रहीं 27 फैक्टरियां सील
पूर्वी दिल्ली नगर निगम ने प्रदूषण फैलाने वाली फैक्टरियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए मंगलवार को शाहदरा उत्तरी जोन में 27 फैक्टरियां सील की हैं। चार दिन में 80 फैक्टरियों को सील किया जा चुका है। अभियान के दौरान खाली पड़ी 57 फैक्टरियों के बिजली मीटर और पानी कनेक्शन भी काट दिए गए। शाहदरा उत्तरी जोन के प्रशासनिक अधिकारी ने बताया कि शाहदरा, बाबरपुर, मानसरोवर पार्क, सुभाष पार्क, ब्रहमपुरी, उस्मानपुर, गौतमपुरी, उस्मानपुर सहित अन्य इलाकों में कार्रवाई करते हुए 27 फैक्टरी सील की गईं। बुधवार को भी कार्रवाई जारी रहेगी।
निगम ने प्रगति मैदान टनल का काम रोका
दक्षिणी निगम ने प्रदूषण फैलाने को लेकर बड़ी कार्रवाई करते हुए प्रगति मैदान से मथुरा रोड तक बनने वाली टनल का काम रुकवा दिया है। निगम आयुक्त डॉ. पुनीत गोयल ने बताया कि टनल के काम में प्रदूषण को लेकर कोताही बरती जा रही थी। उन्होंने बताया कि निर्माण कार्य के चलते प्रगति मैदान के आस-पास धूल का गुबार से बन रहा था। यह भी पाया गया कि धूल से वायु गुणवत्ता सूचकांक और बिगड़ रहा था। इसी के चलते टनल का काम बंद करवा दिया गया है। निगम की टीम रात में पेट्रोलिंग कर कूड़ा जलाने वालों पर भी नजर रख रही है।
प्रदूषण गंभीर स्तर के पार, मोर्चे पर सरकार, लगाम के लिए उठाए कई कदम
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