शहादा। सामाईक कार्यशाला, शहादा (खान्देश)
अखिलभारतीय तेरापंथ युवक परिषद के तत्वावधान में तेरापंथ युवक परिषद शहादा द्वारा सामयिक कार्यशाला का आयोजन महातपस्वी युवामनीषि आचार्यश्री महाश्रमणजी की सुशिष्या शासनश्री साध्वीश्री पद्मावतीजी आदि ठाणा ४ के सानिध्य में तेरापंथ भवन शहादा में किया गया।
कार्यशाला का शुभारंभ तेरापंथ युवक परिषद शहादा के सदस्यों द्वारा विजय गीत से हुआ। शासनश्री साध्वीश्री पद्मावतीजी ने कहा – समता एक मौलिक तथ्य है इसका प्रतिपक्षी ममता है। समता ओर ममता दो शब्दों से सारा संसार बंधा है सारी समस्याएं एवं समाधान इसके साथ जुड़े हुए है। ममता है वहा विषमता पैदा होती है। साम्य वादी ओर समाज वादी लोग समता की बात करते है किन्तु ममता कम हुए बिना समता का जन्म नही होता है। हमे विभाव से स्वभाव में प्रवेश करना है।
प्रिय अप्रिय अच्छा बुरा यह सब व्यक्ति की कल्पना है। उसकी भेद नीति है। वस्तु अपने आप मे अच्छी बुरी नही होती दृष्टिकोन का अंतर है अतः हमें संतुलन की साधना करनी चाहिए।
डॉ. साध्वीश्री गवेषणाश्रीजी ने पूर्ण सामाईक पाठ का अर्थ करते हुए कहा- आगम में भगवान शब्द अर्थात भंते के 3 अर्थ होते है- भदन्त, भयन्त, एवं भवन्त अर्थात हमारे सारे भय को दूर करने वाले भवसमुड को पार कराने वाले होते है।
साध्वीश्री मेरुप्रभाजी ने चैत्यपुरुष जगजाए गीतिका का संगान सुमधुर स्वरों के साथ किया।
साध्वीश्री मयंकप्रभाजी ने 12 व्रतों की विवेचना करते हुए व्रतों पर महत्व डाला। तेरापंथ युवक परिषद शहादा के अध्यक्ष सुमितजी गेलड़ा ने स्वागत भाषण दिया। अखिलभारतीय तेरापंथ युवक परिषद द्वारा निर्धारित पूर्ण सामाईक विधि को डॉ. गवेषणाश्रीजी ने करवाया।
तेरापंथ युवक परिषद शहादा में मंत्री रोहितजी लुंकड़ ने आभार ज्ञापन किया। कार्यशाल में लगभग 200 सामाईक हुई एवं 22 नए सामाईक साधक के फॉर्म भराए गए।
शहादा खानदेश में सामयिक कार्यशाला का आयोजन
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