नई दिल्ली:दिल्ली-एनसीआर में छाई प्रदूषण की परत के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की चिंता पैदा करने वाली एक रिपोर्ट सोमवार को जारी होने जा रही है। इस रिपोर्ट के मुताबिक विश्व के 90 फीसदी बच्चे प्रदूषित हवा में सांस लेने को मजबूर हैं। इससे उनका शारीरिक एवं मानसिक विकास बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। डब्ल्यूएचओ ने पिछले कुछ समय से प्रदूषण की समस्या को एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या के रूप में उठाना शुरू किया है। इसी कड़ी में जिनेवा में संगठन की उच्चस्तरीय बैठक हो रही है। इसी बैठक में यह रिपोर्ट जारी होगी।
15 साल से कम उम्र के 90% बच्चे जिनकी संख्या करीब 1.8 अरब के करीब बैठती है, प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं। इनमें 63 करोड़ बच्चे ऐसे हैं जो पांच साल से भी कम उम्र के हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदूषित हवा का खतरा घर मेंऔर बाहर दोनों जगह बच्चों को उठाना पड़ता है। घरों में भोजन व उजाले के लिए इस्तेमाल होने वाले प्रदूषित ईधन व धूम्रपान प्रदूषण की वजह है।
प्रदूषण से मानसिक और शारीरिक विकास कमजोर
प्रदूषण के कारण बच्चों का मानसिक,शारीरिक विकास कमजोर होने लगा है। बच्चों की हड्डियों एवं मांसपेसियों का विकास भी धीमा हो रहा है। उम्र के हिसाब से उनकी समझ भी विकसित नहीं हो पा रही है। यानी प्रदूषण स्नाययुक्त तंत्र को प्रभावित कर रहा है। दूसरे, एक्यूट लोअर रिस्पेरेटरी इंफेक्शन (श्वसन संबंधी बीमारियां) की चपेट में आकर लाखों बच्चों की मौत हो रही है। फेफड़ों को भी क्षति पहुंच रही है। 2016 के आंकड़ों के अनुसार, डब्ल्यूएचओ ने छह लाख बच्चों की मौते होने का दावा किया है।
गरीब देशों पर मार
निम्न एवं मध्यम आय वाले भारत जैसे देशों के बच्चे प्रदूषण से ज्यादा प्रभावित हैं। इन देशों के 98 फीसदी तक बच्चे पीएम 2.5 के बढ़ते स्तर से प्रभावित हैं। जबकि उच्च आय वाले देशों में ऐसे बच्चों का प्रतिशत 52 फीसदी आंका गया है।
हड्डियों पर असर
– वयस्कों की तुलना में बच्चों को प्रदूषित हवा का खतरा ज्यादा
– प्रदूषण से बच्चों की हड्डियां एवं मांसपेसियों की वृद्धि प्रभावित हो रही है।
– प्रदूषण से बच्चों के स्नायुतंत्र पर भी प्रभाव, उम्र के हिसाब से बच्चों की समझ विकसित नहीं हो रही
बाल मृत्युदर
रिपोर्ट के अनुसार बच्चों के स्वास्थ्य के लिए प्रदूषण आज सबसे बड़ी समस्या बन चुका है। पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु कारण बन चुका है। इस आयु वर्ग में दस में एक मौत प्रदूषण के कारण हो रही है।
घर भी सुरक्षित नहीं
विश्व में करीब 40 फीसदी बच्चे (एक अरब) घर के भीतर भी प्रदूषण का सामना कर रहे हैं। इसकी मुख्य वजह ईधन और प्रदूषणकारी तकनीकों का इस्तेमाल होना है।
दुनिया के 90 फीसदी बच्चे जहरीली हवा में ले रहे सांस
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