नई दिल्ली:दिल्ली की एक अदालत ने दिल्ली एवं जिला क्रिक्रेट एसोसिएशन (डीडीसीए) के कुछ अधिकारियों द्वारा एसोसिएशन में धन की कथित हेराफेरी और फर्जीवाड़े के मामले में पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार करने या नहीं करने के संबंध में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अभिलाष मल्होत्रा ने इस मामले में अपना आदेश सुनाने के लिए 30 अक्टूबर की तारीख तय की है।
इस मामले में नवंबर, 2015 में एफआईआर दर्ज की गई थी और दिल्ली पुलिस ने 2016 में यह कहते हुए मामला बंद करने की रिपोर्ट दायर की थी कि उसे डीडीसीए में धन की हेराफेरी का कोई सबूत नहीं मिला।
न्यूज एजेंसी भाषा के अनुसार, इस रिपोर्ट में कहा गया है, ”इस बात का कोई सबूत नहीं मिला कि सेंट्रल बैंक में यह खाता खोलकर या डीडीसीए के दूसरे बैंक खातों से इस खाते में धन के अंतरण से भी एसोसिएशन को गलत ढंग से कोई नुकसान पहुंचाया गया।
इनके खिलाफ दर्ज हुई थी एफआईआर
दिल्ली पुलिस ने खेल निकाय डीडीसीए के अधिकारियों- रवींद्र मनचंदा और चेतन चौहान के खिलाफ विश्वासघात, धोखाधड़ी, दस्तावेजों में हेराफेरी आदि के कथित अपराधों को लेकर एफआईआर दर्ज की थी।
डीडीसीए के डायरेक्टर और पूर्व क्रिक्रेटर सुनील देव की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई थी। एफआईआर में मनचंदा और अब उत्तर प्रदेश के मंत्री चौहान पर देव के फर्जी हस्ताक्षर से अवैध रूप से बैंक खाता खोलने के लिए सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के अन्य वरिष्ठ अधिकारी के साथ मिलकर साजिश रचने का आरोप लगाया गया था।
उसमें यह भी आरोप लगाया था कि बैंक खाता खोलने के बाद उन्होंने 6.5 करोड़ रुपये अवैध रूप से इस खाते में अंतरित किया और 4.5 करोड़ रुपये की सावधि जमा कराए। लेकिन पुलिस ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट में कहा है कि देव ने लिखित बयान दिया है कि कंपनी के प्रस्ताव के संबंध में गलतफहमी की वजह से उन्होंने शिकायत दर्ज कराई थी और बैंक खाता वैध तरीके से खोला गया था। वह बिना शर्त इन व्यक्तियों के खिलाफ मामला वापस लेना चाहते हैं।
DDCA में धन की हेराफेरी मामला: कोर्ट ने क्लोजर रिपोर्ट पर फैसला सुरक्षित रखा
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