मुंबई। गोरेगाव में भर्ती डॉ. सूरज मिश्रा की मौत तीन दिनों पहले यानी बुधवार को हो गई। इसके कुछ ही घंटों बाद पिता डॉ नागेंद्र मिश्रा की मौत सुबह होते ही हो गई। खास बात यह कि डॉ. नागेन्द्र मिश्रा की मृत्यु उनके जन्मदिन पर ही हुई। डॉ. सूरज की शादी नवंबर महीने में ही हुई थी।
ईश्वर एक ही समय में हर जगह मौजूद नहीं हो सकता है, इसलिए अपने प्रतिनिधि के रूप में वो धरती पर डॉक्टर भेजता है. किसी कोरोना के रोगी से आज पूछिए कि उसकी नजर में एक डॉक्टर की क्या अहमियत है। ये एक ऐसे डॉक्टर पिता-पुत्र से जुड़ी खबर है जिन्होंने कोरोना से रोगियों को बचाने के लिए अपने क्लिनिक का गेट हमेशा खुला रखा। कोरोना संक्रमितों की जानें बचाने के लिए अपनी जान हथेलियों पर रखा। लेकिन रोगियों की जान बचाते-बचाते इस डॉक्टर पिता-पुत्र की अपनी ही जान चली गई। पिछले दो दिनों के अंतर में मिश्रा परिवार ने अपने परिवार के दो स्तंभों को खो दिया और परिवार को बाकी सदस्य भी कोरोना से जूझ रहे हैं।
डॉ. नागेंद्र मिश्रा का मुंबई से सटे टिटवाला इलाके खडवली में पिछले 22 सालों से क्लिनिक चल रहा था। इसी क्लिनिक के माध्यम से उन्होंने दो दशकों से अधिक समय तक रोगियों की सेवा की। उनके पुत्र डॉ. सूरज मिश्रा का भी भिवंडी इलाके में क्लिनिक है। पिता-पुत्र दोनों रोगियों की सेवा अपने चिकित्सा धर्म को ध्यान में रखते हुए पूरी निष्ठा से करते आए थे। जब कोरोना का कहर शुरू हुआ तब इनकी सेवा पहले से भी अधिक बढ़ती गई। कई बार इन दोनों ने रोगियों का मुफ्त इलाज किया। इसी दरम्यान इन्हें भी कोरोना ने जकड़ लिया।
एक के बाद एक पूरे डॉ. परिवार को कोरोना
एक दिन अचानक डॉ. नागेंद्र मिश्रा को बुखार आया. जांच के बाद पता चला कि उन्हें कोरोना हो गया है। इसके बाद इन्होंने अपने इलाज के लिए कोशिशें शुरू कीं। कल्याण-डोंबिवली में डॉ. नागेंद्र को बेड मिला नहीं। आखिर इन्हें ठाणे के वेदांत अस्पताल में भर्ती करवाया गया। इस बीच डॉ. नागेंद्र के पुत्र डॉ. सूरज मिश्रा को भी कोरोना हो गया। उन्हें गोरेगाव के एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया। अभी डॉ. सूरज अस्पताल में भर्ती हुए ही थे कि उनकी माता को भी कोरोना हो गया। उन्हें वसई-विरार के एक अस्पताल में भर्ती करवाया गया। बड़े बेटे (यानी डॉ. सूरज के बड़े भाई) और उनकी पत्नी घर में ही क्वारंटीन हो गए। इस तरह से देखते ही देखते डॉ. मिश्रा के परिवार के 6 सदस्यों को कोरोना हो गया।
जन्मदिन पर ही आई मृत्यु की घड़ी
गोरेगाव में भर्ती डॉ. सूरज मिश्रा की मौत तीन दिनों पहले यानी बुधवार को हो गई। इसके कुछ ही घंटों बाद पिता डॉ. नागेंद्र मिश्रा की मौत सुबह होते ही हो गई। दोनों की तबियत इतनी तेजी से बिगड़ती गई कि रिकवरी करना मुश्किल हो गया। खास बात यह कि डॉ. नागेन्द्र मिश्रा की मृत्यु उनके जन्मदिन पर ही हुई। डॉ. सूरज की शादी नवंबर महीने में ही हुई थी। डॉ. नागेंद्र ने वैक्सीन की पहली डोज भी ली थी लेकिन दूसरे डोज से पहले ही मौत हो गई।